पचास से कम छात्रों के नामांकन वाले सरकारी विद्यालयों का विलय कर हर पंचायत में एक माॅडल विद्यालय बनाने का निर्णय हो चुका हैै. माॅडल स्कूल में पुस्तक से लेकर कंप्यूटर तक की व्यवस्था सरकार कराने जा रही है.
साथ ही पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने पर भी विचार हाे रहा है. इस तरह के परिवर्तन से छात्रों को कितना लाभ मिलेगा, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा, लेकिन ऐसा लग रहा है कि इससे सरकार की शून्य ड्रॉप आउट योजना शायद ही सफल हो, क्योंकि स्कूलों के विलय की योजना से लाखों बच्चों के फिर से स्कूली शिक्षा से वंचित होने की आशंका है.
इसका एक कारण विद्यालय और घर के बीच की दूरी बन सकती है. जब गांव-गांव में विद्यालय खोलने पर भी सारे बच्चों को स्कूल से नहीं जोड़ा जा सका, तो क्या दूर के स्कूलों से बच्चे जुड़ पायेंगे?
सुजीत कुमार मांझी, मुरहू, खूंटी