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कैंसर एक तोहफे की तरह आया और इसने मेरी जिंदगी बदल दी : मनीषा कोइराला

नयी दिल्ली : कैंसर से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद एक बार फिर आम जिंदगी जीने की राह पर लौटी अदाकारा मनीषा कोइराला को लगता है कि यह बीमारी उनकी जिंदगी में एक तोहफे की तरह आई जिससे उनकी दृष्टि अब अधिक पैनी, सोच स्पष्ट और नजरिया पूरी तरह से बदल गया है. अपने संस्मरण […]

नयी दिल्ली : कैंसर से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद एक बार फिर आम जिंदगी जीने की राह पर लौटी अदाकारा मनीषा कोइराला को लगता है कि यह बीमारी उनकी जिंदगी में एक तोहफे की तरह आई जिससे उनकी दृष्टि अब अधिक पैनी, सोच स्पष्ट और नजरिया पूरी तरह से बदल गया है. अपने संस्मरण ‘हील्ड: हाउ कैंसर गेव मी ए न्यू लाइफ’ में उन्होंने कैंसर के इलाज के दौरान बिताए पलों और वहां से एक बार फिर सामान्य जीवन जीने की राह पर लौटने के अनुभवों को बयां किया है.

मनीषा कोईराला को कैंसर होने का पता 2012 में चला था, इसके बाद उनका अमेरिका में छह साल तक इलाज चला था. मनीषा ने कहा,‘‘मेरे अनुभवों का फिर सामना करने और उन्हें फिर जीने में काफी हिम्मत लगी. लेकिन मुझे पाठकों के साथ-साथ अपने लिए भी एक सच्चा कहानीकार बनने के लिए ऐसा करना था.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि कैंसर मेरी जिंदगी में एक तोहफे की तरह आया. मेरी दृष्टि अब और पैनी है, मेरी सोच स्पष्ट और नजरिया पूरी तरह से बदल गया है. मैं अपने क्रोध और बेचैनी को अधिक शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति में बदलने में कामयाब रही हूं.’

नीलम कुमार पुस्तक ‘हील्ड: हाउ कैंसर गेव मी ए न्यू लाइफ’ की सह-लेखक हैं और ‘पैंग्विन रैंडम हाउस’ ने इसका प्रकाशन किया है.

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