अपने दम पर बनायी पहचान
युवाओं के संकल्प ने राष्ट्र को प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. सारण जिला भी अपनी युवा शक्ति के सार्थक प्रयासों से देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपना परचम लहरा रहा है. 2018 में सारण जिले के युवाओं ने शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान, साहित्य, फिल्म, चित्रकला, खेल समेत विविध क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा साबित कर देश-दुनिया में बिहार की साख को मजबूती प्रदान की है.
इन युवाओं ने अपने हौसलों के दम पर एक अलग पहचान बनायी है. आज हम सारण के छह ऐसे युवाओं के सकारात्मक प्रयासों से आपको अवगत करा रहे हैं जिन्होंने संकल्प से तरक्की की नयी राह बनायी है. पेश है प्रभात किरण हिमांशु की रिपोर्ट.
अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में आकाश की ‘वोमनिया’
छपरा के अाकाश अरुण ने सामाजिक बदलाव व अन्य क्षेत्रों से जुड़ी दर्जनों डॉक्यूमेंट्री बनायी हैं. उन्होंने पटना के महिला बैंड पर डॉक्युमेंट्री ‘वोमनिया’ बनायी, जिसे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाया गया. उन्होंने भारत में के बड़े मेलों पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘फेयर्स ऑफ इंडिया’ बनायी है. उन्होंने दिल्ली में यमुना पर रिसर्च कर ‘इन सर्च ऑफ डेस्टिनी’ शार्ट फ़िल्म बनायी थी. आकाश को उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन की ओर से अवार्ड भी मिल चुका है.
साधारण छात्र से युवा वैज्ञानिक बने डॉ शिवेंदु
छपरा के युवा वैज्ञानिक डॉ शिवेंदु रंजन को दिसंबर महीने में युवा वैज्ञानिक -2018 का सम्मान मिला. वह लखनऊ स्थित डीएसटी सेंटर फॉर पॉलिसीरिसर्च केंद्र में एक वैज्ञानिक के तौर पर कार्यरत हैं. हाल ही में उन्हें साउथ अफ्रीका की एक यूनिवर्सिटी ने विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर छात्रों को पढ़ाने के लिए बुलाया है. डॉ शिवेंदु ने आइआइटी, कानपुर के साथ मिलकर वाटर प्यूरिफायर तकनीक डेवलप की थी, जिसके बाद अगस्त 2018 में उसी तकनीक पर आधारित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट छपरा व्यवहार न्यायालय में लगाया गया है.
लंदन में दिखायी जायेगी संदीप की डॉक्यूमेंट्री ‘महाकुंभ’
छपरा के संदीप की डॉक्युमेंट्री ‘महाकुंभ’ को कोसी फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डॉक्युमेंट्री अवार्ड मिला. 2018 में उनके द्वारा रिलीज हुई डॉक्यूमेंट्री ‘महाकुंभ’ काफी चर्चा में रही. उसका लंदन फिल्म फेस्टिवल के लिए चयन किया गया है. फरवरी में इसे लंदन में दिखाया जायेगा. स्टार प्लस पर सीरियल मां दुर्गा में असिस्टेंट डायरेकटर भी काम किया है. उन्होंने आधा दर्जन से अधिक डॉक्युमेंट्री बनायी हैं. उन्होंने भारतीय नृत्य शैली पर एक किताब भी लिखी है, जो अगले वर्ष फरवरी में आयेगी.
कनाडा में भारतीय संस्कृति को जीवंत कर रहीं सुरंगमा
छपरा की सुरंगमा कनाडा में मधुबनी पेंटिंग बना कर भारतीय संस्कृति से वहां के लोगों को रू-ब-रू करा रही हैं. कनाडा में उन्होंने छह साल से मधुबनी पेंटिंग से वहां लोगों को आकर्षित कर रही हैं़ वह कनाडा के शहरों में आर्ट एग्जिबिशन लगाती हैं, जिसमें मधुबनी पेंटिंग प्रदर्शित करती हैं.
शहर के श्याम चौक निवासी डॉ पन्नालाल प्रसाद की पुत्री सुरंगमा 2012 में शादी के बाद कनाडा चली गयीं. वहां उन्होंने कला से माध्यम से अपनी संस्कृति को लोगों में प्रसारित करने का प्रयास किया, जिसमें वह कामयाब भी रही.
‘मेरी कलम से’ साहिल ने 500 नये कवियों को जोड़ा
छपरा के साहिल मिश्रा दिल्ली में नये युवा कवियों व साहित्य कलाकारों के लिए एक संगठन ‘मेरी कलम से’ बनायी है. इस संगठन के तहत देश भर के 500 से भी अधिक नये कवि व साहित्यकार जुड़े हैं, जो अपनी कविता व अपनी रचनाओं को इस संस्था के जरिये प्रमोट करते हैं.
साहिल खुद एक अच्छे कवि और साहित्यकार हैं. मढ़ौरा प्रखंड निवासी प्रदीप कुमार मिश्रा के पुत्र साहिल मिश्रा का अपने आप में एक अलग पहचान है. साहिल जल्द ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर बनाया गया अपना एल्बम ‘मां मैं लेट आऊंगी’ रिलीज करेंगे.
भोजपुरी को धार दे रहे वायु सेना मे ंकार्यरत मिथिलेश
छपरा के मिथिलेश नयी दिल्ली के पालम में वायु सेना में कार्यरत हैं. इसके साथ ही उन्होंने भोजपुरी में कविताओं के माध्यम से अपनी मिट्टी की भाषा को जीवंत रखने का प्रयास जारी रखा है. मिथिलेश को राष्ट्रीय भोजपुरी मैथिली अकादमी, दिल्ली के कई कार्यक्रमों में प्रस्तुति दी है.
उन्होंने भोजपुरी भाषा में कई नयी कविताएं लिखी हैं. इसके अलावा उन्होंने कुछ भोजपुरी गीत भी लिखे हैं. सोशल मीडिया से लेकर सार्वजनिक मंचों पर उनकी कविताओं को पसंद किया जा रहा है. युवा लेखकों के लिए एक रॉल मॉडल बन चुके हैं.