पटना : पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बुधवार को दावा किया कि बिहार में शैक्षणिक सुधारों के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 25 मांगों का जो एक चार्टर सौंपा था, उसे विपक्षी महागठबंधन के राज्य में सत्ता में आने पर लागू किया जायेगा. कुशवाहा जब राजग में थे और मंत्री थे, तब वह चार्टर सामने लाये थे. उसमें राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा शिक्षकों की भर्ती, शिक्षकों को गैर शिक्षा कार्यों से पूरी तरह हटाने, विद्यार्थियों के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य बनाने जैसे आमूलचूल प्रस्ताव शामिल हैं. कुशवाहा ने कहा, ‘‘जब मैंने यह चार्टर राज्य सरकार को सौंपा था, तब से एक लंबा अरसा गुजर गया. नीतीश कुमार सरकार यदि इन महत्वपूर्ण शैक्षणिक सुधारों पर राजी हो जाती, तो मैंने अपनी पार्टी के राजनीतिक हितों को तिलांजलि देने तक की पेशकश की थी. लेकिन, उसने उस पर ध्यान ही नहीं दिया.’
आरएलएसपी प्रमुख ने कहा कि लेकिन ये मांग महत्वपूर्ण हैं और हम इस पर दबाव बनाने जा रहे हैं. दो फरवरी से हमारी पार्टी राज्यव्यापी अभियान शुरू करेगी, जिसके दौरान इस चार्टर के समर्थन में एक करोड़ नागरिकों के हस्ताक्षर लिये जायेंगे. इन दस्तावेजों को ट्रक में भरकर मुख्यमंत्री के निवास पर भेजा जायेगा. आरएलएसपी अब महागठबंधन का हिस्सा बन गयी है, जिसमें राजद और कांग्रेस जैसे दल हैं. कुशवाहा ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री से कोई उम्मीद नहीं है, ऐसे में दस्तखत वाले दस्तावेज उनके द्वार पर भेजे जायेंगे, ताकि उन्हें अपने ही तरीके का जवाब मिले. उनका इशारा 2015 में नीतीश कुमार द्वारा उठाये गये उस कदम की ओर था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डीएनए का जिक्र करने पर उन्होंने बिहारियों के नाखूनों और बाल के नमूने दिल्ली भेजे थे.