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यह कैसा डर

राजनीति करने के लिए मुद्दों की कमी नहीं है. शिक्षा, रोजगार एवं संतुष्टि प्रदान करने वाली प्रति व्यक्ति आय जैसे मुद्दों पर स्वार्थ की राजनीति तो चलती रहती है, परंतु अल्पसंख्यक का तमगा धारण करने वालों की गंदी मानसिकता मन को विचलित कर देती है. बड़ी नामचीन फिल्मी हस्ती नसीरुद्दीन शाह का यह बयान कि […]

राजनीति करने के लिए मुद्दों की कमी नहीं है. शिक्षा, रोजगार एवं संतुष्टि प्रदान करने वाली प्रति व्यक्ति आय जैसे मुद्दों पर स्वार्थ की राजनीति तो चलती रहती है, परंतु अल्पसंख्यक का तमगा धारण करने वालों की गंदी मानसिकता मन को विचलित कर देती है.

बड़ी नामचीन फिल्मी हस्ती नसीरुद्दीन शाह का यह बयान कि मुझे अपने औलाद के लिए डर लगता है, कहीं-न-कहीं चिंता का विषय जरूर है, किंतु जिस नसीर साहब को भारत के बहुसंख्यकों ने पिछले 60-65 सालों से मुहब्बत देकर इस मुकाम तक पहुंचाया, आज जीवन की अंतिम रूहानी पलों में उन्हीं से डर लगने लगा? अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं, तो क्या पाकिस्तान, सीरिया या बांग्लादेश में सुरक्षित रह पायेंगे?

देवेश कुमार ‘देव’, इसकी बाजार, गिरिडीह.

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