जिले में 108 एंबुलेंस की शुरुआत हुई, तो सदर अस्पताल में खोला गया एएनएम स्कूल
जमशेदपुर : वर्ष 2017 में एमजीएम में नवजात बच्चों की मौत और जांच का सिलसिला शुरू हुआ वह वर्ष 2018 तक जारी रहा. एमजीएम 2018 में भी बच्चों की मौत के मामले से उबर नहीं पाया. वर्ष 2017 में जहां एमजीएम में चार महीने में 164 बच्चों की मौत हुई थी, वहीं वर्ष 2018 में दो महीने में 79 बच्चे की मौत हो गयी. साथ ही बच्चों की मौत का सिलसिला रुका नहीं है. इसके साथ ही वर्ष 2018 में जिले में डेंगू का कहर बना रहा. वहीं जिले में इस दौरान 64 डेंगू के मरीज मिले. वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में जिले में कुछ अच्छी चीजें हुई, तो कुछ कार्य पूरा नहीं हो सका.
एक ओर जहां वर्ष 2018 में भी बहरागोड़ा का ट्रामा सेंटर चालू नहीं हो सका, तो पटमदा का माचा अस्पताल भी शुरू नहीं हुआ. इसी तरह सदर अस्पताल में ब्लड बैंक की भी शुरुआत नहीं हो सकी. इसके अलावा तमाम कोशिश के बाद भी एमजीएम के नये भवन में विभागों को शिफ्ट नहीं किया जा सका. साथ ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज में बन रहे कैथ लैब की शुरुआत भी नहीं हो सकी. कॉलेज परिसर में पांच सौ बेड के अस्पताल बनने का भी कार्य नहीं शुरू हुआ.
वहीं वर्ष 2018 में सदर अस्पताल एसएनसीयू और कंगारू मदर केयर यूनिट भी शुरू नहीं हो सका. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में स्मार्ट क्लास की शुरुआत नहीं हो सकी.
दूसरी अोर इस साल भी सदर अस्पताल को कायाकल्प पुरस्कार मिला, तो पूरे देश में रांची से प्रधानमंत्री के हाथों शुरू हुई आयुष्मान भारत योजना का पूरे देश में पहला लाभुक पूर्वी सिंहभूम (सदर अस्पताल) के लाभुक को होने का गौरव प्राप्त हुआ अौर अब तक 2689 मरीज इस योजना का लाभ उठा चुके हैं. वहीं जिले में 108 एंबुलेंस की शुरुआत की गयी. साथ ही बिरसानगर के लुपुंगडीह में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के साथ ही सदर अस्पताल में एएनएम स्कूल की शुरुआत की गयी. वहीं जिले में पांच शहरी स्वास्थ्य केंद्र खोला गया. साथ ही एमजीएम में कई घोटालों का पर्दाफाश भी हुआ.
इसके साथ ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज, सदर अस्पताल में सोलर लाइट सिस्टम चालू किया गया. सदर अस्पताल में डे केयर सेंटर की शुरुआत की गयी. वहीं सीसीटीवी कैमरा लगाने के साथ ही अस्पताल जन औषधि केंद्र खोला गया. इसके साथ ही सदर अस्पताल में एआरटी सेंटर की शुरुआत हुई. मेडिकल कॉलेज में ई लाइब्रेरी की शुरुआत की गयी.