मुंबई : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के विशेष जज एसजे शर्मा के लिए गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्याओं के 22 आरोपियों को शुक्रवार को बरी करना उनके कैरियर का अंतिम फैसला रहा. इसी महीने सेवानिवृत्त हो रहे न्यायाधीश शर्मा ने अपने फैसले में कहा, ‘यह मेरा अंतिम फैसला है…’
उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि (पीड़ितों के) एक परिवार ने एक बेटा, भाई गंवा दिया. लेकिन यह साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं कि ये आरोपी अपराध में शामिल थे.’ न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें शेख और प्रजापति के परिवारों के लिए अफसोस है, क्योंकि ‘तीन लोगों की जान चली गयी’.
उन्होंने कहा कि लेकिन व्यवस्था की मांग है कि अदालत केवल साक्ष्यों के आधार पर चलती है. सभी आरोपी वर्षों तक चली सुनवाई के दौरान जमानत पर रिहा रहे. इनमें ज्यादातर गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारी हैं.
तेरह साल पुराने इस मामले ने कई उतार-चढ़ाव देखे. इसमें अभियोजन पक्ष के 92 गवाह अपने बयान से मुकरे. एक समय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी 2010 में कुछ समय के लिए गिरफ्तार किया गया था.