– दो सप्ताह में पहली बार 25 मिनट तक चली राज्य सभा
ब्यूरो, नयी दिल्ली
दो सप्ताह में पहली बार राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार को 25 मिनट तक चली. भोजनावकाश के बाद जब राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, तो विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर में राष्ट्रपति शासन पर चर्चा की मांग की, साथ ही इंडियन टेलीग्राफ एक्ट में संशाधन पर भी सवाल उठाया. इस पर सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि जब वरिष्ठ सदस्य इस तरह का सवाल उठाते हैं, तो उसका मायने होता है, लेकिन उन्हें यह याद होना चाहिए कि यूपीए सरकार ने 2009 में जो आइटी एक्ट बनाया है, उसी को 20 दिसंबर को रिपीट किया गया है. इसमें नया कुछ भी नहीं है, जिसे लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है.
हालांकि विपक्ष की ओर से शोर-शराबा होता रहा. सदन का संचालन कर रहे उपसभापति हरिवंश ने कहा कि आज विधवाओं की स्थिति पर प्राइवेट मेंबर बिल है, इसीलिए आज सिर्फ उसी पर चर्चा की जायेगी और उन्होंने राजद सांसद मनोज झा को बोलने की अनुमति दी. लेकिन मनोज झा अपना नाम देकर भी इस मसले पर सदन को आर्डर में न होने का हवाला देकर बोलने से परहेज करते रहे.
उसके बाद उपसभापति ने दूसरे सांसद का नाम पुकारा. सपा के रवि प्रकाश वर्मा ने देश में विधवाओं की बदहाल स्थिति पर बोलते हुए सरकार से इस पर तुरंत कदम उठाने की मांग की. उन्होंने कहा कि देश में महिलाओं की कुल आबादी का लगभग 8 फीसदी विधवाएं है, लेकिन इतने महत्वपूर्ण मसलों पर चर्चा हो रही है और संसद में हंगामा हो रहा है. उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों पर कार्रवाई करने तक की मांग कर डाली.
इस पर उपसभापति ने कहा कि यदि संसद सहमत हो, तो वह इस पर विचार कर सकते हैं. हालांकि वर्मा के बोलने के क्रम में भी सत्ता और विपक्ष की ओर से हंगामा होता रहा, इस पर उपसभपति ने तल्ख लहजे में कहा कि देश हम सबों को देख रहा है. राजनीति में सबकी जिम्मेवारी है कि मौलिक सवाल पर राजनीति हो. संसद मे जिस कंडक्ट की अपेक्षा सांसदों से की गयी है, उस पर सांसद खरे नहीं उतर रहे हैं.
उन्होंने बार-बार सदस्यों से आग्रह किया, लेकिन सदस्य उपसभापति की बात को मानने को तैयार नहीं दिखे. उसके बाद उन्होंने सदन को 27 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया. इतने महत्वपूर्ण मसलों पर भी हंगामा का कारण पूछे जाने पर उपसभापति ने कहा कि जो सांसद सुबह में बयान देते हैं कि सदन को तुरंत स्थगित कर दिया जाता है, वही सांसद सदन को चलाने में अपनी रुचि नहीं रखते हैं.
उन्होंने उच्च सदन की गरिमा को बरकरार रखते हुए हुए सांसदों से डॉ राधा कृष्णन के कोट का हवाला देते हुए कहा कि सांसद, संसद में अपने काम से प्रोफेशनल एजिटेटर्स का इंप्रेशन न दे. क्योंकि इससे जनता में गलत संदेश जा रहा है. सदन में बहस के दौरान सांसद मर्यादित व्यवहार करें. तभी उच्च सदन की गरिम को बहाल किया जा सकता है.