नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष के बचे हुए महीनों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 83,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी.
इससे पहले, दिन में सरकार ने अनुपूरक अनुदान मांग की दूसरी किस्त के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 41,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के लिए संसद की मंजूरी मांगी. इससे चालू वित्त वर्ष में बैंकों में 65,000 करोड़ रुपये के बजाय कुल 1.06 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जायेगी. जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि पूंजी डाले जाने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और आरबीआई के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा से बाहर निकलने में मदद मिलेगी.
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की पहचान का काम पूरा हो चुका है और एनपीए में कमी आनी शुरू हो गयी है. उन्हाेंने उम्मीद जतायी कि जल्द ही 4-5 बैंक पीसीए के दायरे से बाहर निकल जायेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक ने कुल 11 सरकारी बैंकों को पीसीए के दायरे में रखा है. उन्होंने कहा है कि यह पूंजी न सिर्फ आरबीआई की पाबंदी झेल रहे बैंकों में ही डाली जायेगी, बल्कि कुछ ऐसे सरकारी बैंकों में भी डाली जायेगी, जिनपर आने वाले समय में आरबीआई बड़े लोन देने पर पाबंदी लगा सकता है. केंद्रीय वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने कहा, तीन बैंक पीसीए के थ्रेसहोल्ड 1 के दायरे में हैं और 4-5 बैंकों को इस साल अतिरिक्त पूंजी दी जायेगी. पीसीए की व्यवस्था के तहत बैंकों से कुछ गतिविधियों से परहेज करने, कामकाजी दक्षता बढ़ाने और पूंजी की हिफाजत पर जोर देने के लिए कहा जाता है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.