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धनबाद : नया बर्न वार्ड जुआरियों-शराबियों का अड्डा, जो है वहां बदइंतजामियां, मौजूदा वार्ड में भारी दुर्गंध, मच्छरों से मरीजों को होती है परेशानी
मोहन गोप, धनबाद : पीएमसीएच से कोई 100 मीटर दूर 40 लाख रुपये की लागत से नया बर्न वार्ड एक वर्ष से उद्घाटन का इंतजार कर रहा है. लेकिन उपकरण, डॉक्टर और कर्मियों की कमी बता कर उसे शुरू नहीं किया जा रहा है. इन दिनों वहां शराबियों और जुआरियों की महफिल सजती है. कई […]
मोहन गोप, धनबाद : पीएमसीएच से कोई 100 मीटर दूर 40 लाख रुपये की लागत से नया बर्न वार्ड एक वर्ष से उद्घाटन का इंतजार कर रहा है. लेकिन उपकरण, डॉक्टर और कर्मियों की कमी बता कर उसे शुरू नहीं किया जा रहा है.
इन दिनों वहां शराबियों और जुआरियों की महफिल सजती है. कई खिड़कियों के कांच तोड़ दिये गये हैं. दूसरी ओर अस्पताल में पहले से जो बर्न वार्ड चल रहा है, वहां भारी बदइंतजामी है. कुछ वैसा जिसे ‘जले पर नमक छिड़कना’ कहते हैं.
लकड़ी से बांधते हैं मच्छरदानी
चालू बर्न वार्ड में मच्छरदानी बांधने के लिए बेड के साथ रॉड लगा हुआ नहीं है. मरीजों के परिजन बाहर से झाड़ियों की लकड़ी तोड़ कर उससे मच्छरदानी बांधते हैं. वार्ड में एसी तो लगाया गया है.
लेकिन रूम पैक नहीं है. बगल में खिड़की खुली हुई है. बर्न वार्ड के बाहर कचरों का अंबार रहता है. मक्खी-मच्छर मरीजों को परेशान करते हैं. नये वार्ड बनने से लोगों को उम्मीद थी, अव्यवस्था से छुटकारा मिलेगा, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.
40 लाख रुपये खर्च, लेकिन लाभ नहीं
पीएमसीएच का बर्न वार्ड 40 लाख खर्च कर बनाया गया. लेकिन अब प्रबंधन इसके लिए कर्मियों की अलग से मांग कर रहा है. बताया जाता है कि बर्न वार्ड के लिए अलग से पीएमसीएच में चिकित्सक व कर्मियों की कमी है. इसके साथ भवन के नक्शा में कुछ कमियों की भी बात बतायी गयी है. इस कारण भवन का उद्घाटन नहीं हो रहा है.
हर माह आते हैं 50 से 80 मरीज
पीएमसीएच में औसतन हर दिन दो से तीन मरीज आते हैं. लंबा इलाज चलता है. महिलाओं के लिए यहां मात्र दस बेड हैं. जबकि पुरुषों के लिए कोई निर्धारित वार्ड अभी तक नहीं है.
सर्जरी वार्ड में जहां बेड खाली होते हैं, वहां पुरुष मरीज को शिफ्ट कर दिया जाता है. प्रति माह लगभग 50 से 80 मरीज आते हैं. वार्ड में मरीजों को दवा नहीं मिलती है. जलने के बाद लगाने वाले क्रीम हो या दवा सभी बाहर से ही लाना पड़ता है.
नये बर्न वार्ड को शुरू किया जायेगा. कुछ कमियां हैं, जिसे दूर किया जा रहा है. मरीजों को परेशानी नहीं हो, इसका ख्याल रखा जाता है.
डॉ टी हेंब्रम, अधीक्षक, पीएमसीएच
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