13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

VIDEO : अंतरिक्ष में ISRO का ‘इंडियन एंग्री बर्ड’ GSAT-7A, जानें खूबियां

श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार की शाम 04:10 बजे वर्ष 2018 का अपना आखिरी मिशन लांच किया. वर्ष का 17वां और आखिरी मिशन भारतीय वायुसेना (IAF) के सभी एसेट्स को जोड़ने में मदद करेगा. यह फोर्स मल्टीप्लायर की तरह काम करेगा. इस नये संचार उपग्रह को ‘इंडियन एंग्री बर्ड’ कहा जा […]

श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार की शाम 04:10 बजे वर्ष 2018 का अपना आखिरी मिशन लांच किया. वर्ष का 17वां और आखिरी मिशन भारतीय वायुसेना (IAF) के सभी एसेट्स को जोड़ने में मदद करेगा. यह फोर्स मल्टीप्लायर की तरह काम करेगा. इस नये संचार उपग्रह को ‘इंडियन एंग्री बर्ड’ कहा जा रहा है. इसरो ने भारत के भू-स्थैतिक संचार उपग्रह जीसैट-7ए का श्रीहरिकोटा से चौथी पीढ़ी के प्रक्षेपण यान GSLV-F11 के जरिये प्रक्षेपण किया गया. इसकी लागत 500-800 करोड़ रुपये बतायी जा रही है.

आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लांच पैड से इसे प्रक्षेपित किया गया. 2,250 किलोग्राम वजनी उपग्रह GSAT-7Aभारतीय वायुसेना के सभी एसेट्स, यानी विमान, हवा में मौजूद अर्ली वार्निंग कंट्रोल प्लेटफॉर्म, ड्रोन तथा ग्राउंड स्टेशनों को जोड़ देगा. यह सेंट्रलाइज्ड (केंद्रीकृत) नेटवर्क बना देगा.

बताया जाता है कि GSAT-7A और GSAT-6 के साथ मिलकर ‘इंडियन एंग्री बर्ड’ कहा जाने वाला यह नया उपग्रह संचार उपग्रहों का एक बैंड तैयार कर देगा, जो भारतीय सेना के काम आयेगा. आठ साल के जीवनकाल वाला GSAT-7A भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड के यूजर्स को संचार क्षमताएं उपलब्ध करायेगा. भारतीय वायुसेना को समर्पित GSAT-7A वायु शक्ति को मजबूती प्रदान करेगा. यह वायुसेवा को अतिरिक्त सामरिक संचार क्षमताओं में इजाफा करेगा. सैन्य संचार उपग्रह GSAT-7A को श्रीहरिकोटा से जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (GSLV Mk III) के जरिये लॉन्च किया गया.

रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल बोले

रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल एम बहादुर ने सैटेलाइट के प्रक्षेपण पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘भारतीय वायुसेना को लंबे समय से इस क्षमता का इंतजार था. इससे इंटीग्रेटेड एयर कमांड तथा एयर फाइटर्स के लिए कंट्रोल सिस्टम में संचार का एक ताकतवर पहलू जुड़ जायेगा.’

जीसैट-7ए की खूबियां

  • अत्याधुनिक सैटेलाइट को जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है. यह देश के सबसे दूर-दराज के इलाकों में भी संचार उपकरणों से संपर्क कर सकता है.

  • जीसैट-7ए से भारतीय वायुसेना को वह ताकत मिलेगी, जिसकी उसे बहुत जरूरत है.

  • नौसेना के पास सिर्फ एक सैटेलाइट GSAT-7 है, जिसे ‘रुक्मणि’ भी कहा जाता है, और जिसे 2013 में लॉन्च किया गया था.

  • GSAT-7 नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में ‘रीयल-टाइम सिक्योर कम्युनिकेशंस कैपेबिलिटी’ उपलब्ध कराता है. इससे विदेशी ऑपरेटरों पर निर्भरता खत्म हो जायेगी.

  • स्वदेश-निर्मित क्रायोजेनिक इंजन से चलने वाले GSLV-MkIII की यह 13वीं उड़ान थी. यह रॉकेट 17 मंजिली इमारत के जितना ऊंचा (करीब 50 मीटर) है. इसका वजन 80 वयस्क हाथियों के बराबर (लगभग 4145 टन) है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें