नयी दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदूवादी संगठनों के बढ़ते दबाव के बीच दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी ने मंगलवार को इस मुद्दे पर धैर्य रखने की सलाह देने के साथ ही आपसी सहमति से मंदिर निर्माण की वकालत की.
नितिन गडकरी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आपसी सहमति से होना चाहिए और यह कोई सांप्रदायिक या धार्मिक मुद्दा नहीं है. वहीं, भाजपा संसदीय पार्टी की बैठक में कुछ पार्टी सांसदों ने जब इस मुद्दे पर सरकार का रुख जानना चाहा, तो गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें धीरज रखने को कहा. भाजपा सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश से सांसद रवींद्र कुशवाहा और हरिनारायण राजभर एवं कुछ अन्य सांसदों ने इस विषय को तब उठाया जब गृह मंत्री राजनाथ सिंह पार्टी सांसदों को संबोधित कर रहे थे. भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह मौजूद नहीं थे. सूत्रों ने बताया कि राजनाथ सिंह ने सांसदों से कहा कि यह सभी की इच्छा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो और वे धैर्य रखें.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कुछ हिंदूवादी संगठन राम मंदिर के जल्द निर्माण का दबाव बना रहे हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसके लिए कानून बनाने पर जोर दिया है. हालांकि, भाजपा का मानना है कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए, लेकिन उसने इस उद्देश्य के लिए कानून लाने पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है. गडकरी ने ‘आज तक’ चैनल के एक कान्क्लेव में कहा, अयोध्या का मुद्दा सांप्रदायिक नहीं है और धार्मिक भी नहीं है. भगवान राम हमारे इतिहास, संस्कृति और धरोहर के प्रतीक हैं. यह साबित हो गया है कि वहां मंदिर था. अगर हिंदुस्तान में जन्म भूमि पर राम मंदिर नहीं बनाया जा सकता तो कहां बनेगा? करोड़ों लोगों की भावनाएं और कामना है कि वहां राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भाजपा के एजेंडे में भी यह भावना थी और आगे भी रहेगी. गडकरी ने कहा, इसके तीन रास्ते हैं. मामला अदालत में है. आपसी सहमति से यह हो सकता है या संसद में दो तिहाई बहुमत के माध्यम से किसी फैसले से हो सकता है. लेकिन, मेरा मानना है कि यह आपसी सहमति से होना चाहिए. हमारी भावना ‘सर्वधर्म समभाव’ की है. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय इस मुद्दे के समाधान के पक्ष में हैं.