नयी दिल्ली : हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में चुनावी जीत और कांग्रेस का लोकतांत्रीकरण पार्टी अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के एक साल की उपलब्धियां रहीं. राहुल गांधी ने पिछले साल इसी दिन अपनी मां सोनिया गांधी से पार्टी की कमान अपने हाथ में ली थी. जब राहुल गांधी ने पार्टी का कामकाज संभाला था, तो पार्टी की सरकार चार राज्यों में थी और अब बढ़कर छह राज्यों में हो गयी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे चुनौती देने वाले के रूप में खुद को रखते हुए राहुल गांधी अब कांग्रेस को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार कर रहे हैं. इसके लिए वह समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ बातचीत कर रहे हैं और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. वह नियमित तौर पर राफेल जेट खरीद को लेकर प्रधानमंत्री पर हमला करते रहते हैं.
द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने रविवार को अगले आम चुनाव में विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी की उम्मीदवारी की जोरदार वकालत की और कहा कि उनमें भाजपा नीत राजग को परास्त करने का कूवत है. पार्टी प्रमुख बनने के बाद राहुल गांधी के सामने गुजरात चुनाव पहली चुनौती थी, जहां पार्टी ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी और सत्तारूढ़ दल के काफी करीब पहुंच गयी, लेकिन अंत में भगवा दल ही विजयी हुआ.
प्रतिद्वंद्वियों का मुकाबला करने के लिए संगठन को एक करने के राहुल गांधी के नये तरीके ने कांग्रेस को लोकसभा के कई उपचुनावों में जीत दिलायी. इसके बाद कांग्रेस कर्नाटक में अपनी सरकार बचाने में कामयाब रही, लेकिन इसके लिए उसे जेडीएस का समर्थन लेना पड़ा. इसके बाद हाल में हुए चुनाव में हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनायी. कांग्रेस ने पंजाब और पुडुचेरी भी जीता.
इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस में लोकतंत्र लाने की भी पहल की और राज्य के नेताओं के साथ चर्चा और बातचीत के दरवाजे खोले. रविवार को पार्टी अध्यक्ष के तौर पर एक बरस पूरा होने के मौके पर राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर पदभार संभालने का एक साल पूरा होने पर, मैं मजबूत, एकजुट और ऊर्जावान कांग्रेस बनाने के अपने संकल्प को दोहराता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘मैं आज मिली बधाइयों और संदेशों से अभिभूत हूं और आपके स्नेह और समर्थन के लिए सबका आभार व्यक्त करता हूं.’