चार से बढ़ा कर नौ जिलों तक किया गया दायरा
पटना : सूबे के किसानों के लिए खुशखबरी है. कृषि इनपुट अनुदान के रूप में अब किसानों को 6000 की जगह 8000 रुपया मिलेगा. कृषि विभाग ने इस आशय का प्रस्ताव मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा है. इसके साथ ही इस दायरे को बढ़ा कर चार से नौ जिले में कर दिया गया है.
चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में इनपुट अनुदान को 42 करोड़ की व्यवस्था की गयी है. तीसरे कृषि रोडमैप में सरकार ने किसानों को खेती के पहले इनपुट अनुदान देने की योजना बनायी है. पिछले मौसम में पायलट प्रोजक्ट के तौर पर चार जिले में जैविक सब्जी के खेती को चार जिलों वैशाली, समस्तीपुर, पटना और नालंदा के किसानों को छह-छह हजार दिया गया. अब इसे बढ़ा कर 8000 करने की योजना है.
कृषि विभाग ने इस आशय का प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा है. योजना का लाभ भी अब चार की जगह नौ जिलों के किसानों को मिलेगा. पूर्व के चार जिलों के साथ-साथ अब मुंगेर, भागलपुर, खगड़िया. बेगूसराय व लखीसराय को भी इसमें शामिल किया गया है. कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार ने बताया कि कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अन्य जिले के किसानों को बढ़ी दर से अनुदान मिलेगा.
जैविक सब्जी खेती के लिए मिलेगा अनुदान
कृषि इनपुट अनुदान सिर्फ जैविक सब्जी की खेती करने वाले किसानों को ही मिलेगा. कृषि विभाग जैविक सब्जी की खेती पर फोकस किये हुए है. जैविक खेती के प्रमाणी करण के लिए सिक्कम के साथ बिहार का समझौता भी है. अभी करीब 50 हजार किसानों को इसका लाभ मिल रहा है.
एक मोटे अनुमान के अनुसार अब डेढ़ लाख से अधिक कासानों को इनपुट अनुदान का लाभ मिलेगा. कृषि विभाग एक हजार करोड़ से अधिक का अनुदान हर साल किसानों को देती है. किसानों को डीजल अनुदान से लेकर यांत्रिकीकरण, खाद-बीज सहित कई योजनाओं में किसानों को अनुदान का लाभ मिलता है.
अब तक जो व्यवस्था थी उसके अनुसार खेती के बाद किसानों को अनुदान मिलता था. अनुदान का लाभ लेने में काफी परेशानी होती थी. लेकिन पहले अनुदान मिल जाने से किसानों को काफी लाभ हो रहा है. पटना से भागलपुर तक गंगा किनारे वाले गांवों व पटना से नालंदा तक एनएच के किनारे के गांवों को सब्जी की खेती के लिए जैविक कोरिडोर के रुप में में विकसित किया जा रहा है.