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पंचायतनामा विशेष : ”हमिन के गांव चोरेया में बिजली कब आई बाबू?”

-आजादी के 70 साल बाद भी बिजली को तरस रही हैं आंखें, अधिकारी बेफिक्र गांव- चोरेया पंचायत- नवडीहा प्रखंड- पांकी जिला- पलामू राजन कुमार तमाम दावे-वादों के बीच कड़वा सच ये है कि आज भी झारखंड के ग्रामीणों को बिजली का बेसब्री से इंतजार है. आजादी के 70 साल गुजर गये, लेकिन पलामू जिले के […]

-आजादी के 70 साल बाद भी बिजली को तरस रही हैं आंखें, अधिकारी बेफिक्र

गांव- चोरेया

पंचायत- नवडीहा

प्रखंड- पांकी

जिला- पलामू

राजन कुमार

तमाम दावे-वादों के बीच कड़वा सच ये है कि आज भी झारखंड के ग्रामीणों को बिजली का बेसब्री से इंतजार है. आजादी के 70 साल गुजर गये, लेकिन पलामू जिले के पांकी प्रखंड की नवडीहा पंचायत के चोरेया के ग्रामीणों ने अब तक अपने घरों को बिजली के बल्ब से रोशन होते नहीं देखा. चोरेया का टोला सोहियाबागी भी वर्षों से अंधेरे में है. लोग आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर हैं.

पांच वर्ष से अधिक वक्त गुजर गये, बिजली का पोल खड़ा तक नहीं हुआ था. थक-हारकर ग्रामीणों ने खुद ही बिजली का पोल कुछ माह पहले खड़ा कर दिया है. इसके बाद भी बिजली विभाग के पदाधिकारियों की नींद नहीं खुली है. वे बेफिक्र हैं. बिजली के नाम पर ग्रामीणों को हुक्मरान ने ठगा भी, लेकिन बिजली नहीं आई. हर ग्रामीण की जुबां पर बस एक ही सवाल है कि "हमिन के गांव में बिजली कब आई " यानी उनके गांव में बिजली कब आयेगी? ग्रामीणों को रोशनी का बेसब्री से इंतजार है.

रोशनी को तरस रहा अनुसूचित जाति बहुल इलाका

पलामू जिले के पांकी प्रखंड की नवडीहा पंचायत का एक गांव है चोरेया और इसका एक टोला है सोहियाबागी. प्रखंड मुख्यालय से करीब चार किलोमीटर दूर है. अनुसूचित जाति बहुल यह गांव आजादी के सात दशक बाद भी बिजली को तरस रहा है. चोरेया में करीब 25 घर है. आबादी करीब 125 है, वहीं सोहियाबागी में करीब 15 घर है.

आबादी करीब 80 है. इनमें सभी बीपीएल श्रेणी से हैं और मेहनत-मजदूरी कर गुजर-बसर करते हैं. रोजी-रोजगार की भी अच्छी व्यवस्था नहीं है. महंगे दाम में केरोसिन खरीदकर लालटेन की रोशनी में जीने को विवश हैं. इस बीच हर घर को बिजली से रोशन करने का वादा इन्हें मुंह चिढ़ा रहा है.

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हर दरबार में लगायी हाजिरी, मिला धोखा

चोरेया की एक बुजुर्ग महिला बिजली की चर्चा करते ही कहती हैं कि ‘सब गांव में बिजली देखइत ही, हमिन के गांव में कबो बिजली नईं आई बाबू. हमिन सबसे आग्रह करके थक गेल ही, रउवा कुछो करियई ने’ ग्रामीण कहते हैं कि बिजली बहाल करने के लिए ग्रामीणों ने हर दरवाजे पर गुहार लगायी. पूर्व विधायक दिवंगत विदेश सिंह के दरबार में भी ग्रामीणों ने हाजिरी लगायी थी. बिजली के नाम पर वहां से भी उन्हें धोखा ही मिला. सरकारी पदाधिकारियों का इस गांव पर ध्यान नहीं रहता है. इस कारण यहां समुचित विकास नहीं हो पाता.

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आस-पास के गांवों में है बिजली

चोरेया के आस-पास के गांव बालुडीह, उलगाड़ा, सोरठ, मंगलपुर और सरईडीह में बिजली है. रात में जब पड़ोसी गांव जगमगाते हैं, तो चोरेया-सोहियाबागी घूप अंधेरे में डूबा रहता है. लालटेन या ढिबरी की रोशनी यहां के घरों में टिमटिमाती दिखेगी. ये सही है कि अपर्याप्त व अनियमित बिजली आपूर्ति से पड़ोसी गांव बालुडीह, सोरठ समेत अन्य गांव के ग्रामीणों में खासी नाराजगी रहती है. इसके बावजूद बिजली की उपलब्धता से उन्हें ढाढ़स है कि आज न कल व्यवस्था जरूर दुरुस्त होगी.

बिजली विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही देखिए

काफी मशक्कत के बाद पांच साल पहले बिजली का पोल व ट्रांसफॉर्मर लाकर रख दिया गया. इसके बाद पोल को खड़ा तक नहीं किया गया. थक हारकर ग्रामीणों ने खुद ही अपने पैसे खर्च कर बिजली के पोल को खड़ा कराया. इसके बाद भी अब तक आगे की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. 30 दिसंबर तक झारखंड के हर घर को रोशन करने का लक्ष्य है. इस गांव में अब तक न तो ट्रांसफॉर्मर लगा है, न बिजली तार है और न मीटर लगा है.

प्रधानमंत्री के कुशल मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री रघुवर दास हर घर में बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयासरत हैं, लेकिन बिजली विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण चोरेया के लोग आज भी बिजली को तरस रहे हैं.

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