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दो गतियों के अनुसार जरूरी है धन खर्च करना
शास्त्रों में धन कमाने, धन को अपने पास बनाये रखने के कई उपाय बताये गये हैं. संस्कृत साहित्य के महान नीतिकार बाबा भरथरी ने धन को तीन गतियों में विभाजित किया है. वे कहते हैं- “दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य, यो न ददाति न भुक्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति” अर्थात जो व्यक्ति अपने कमाये हुए […]
शास्त्रों में धन कमाने, धन को अपने पास बनाये रखने के कई उपाय बताये गये हैं. संस्कृत साहित्य के महान नीतिकार बाबा भरथरी ने धन को तीन गतियों में विभाजित किया है. वे कहते हैं- “दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य, यो न ददाति न भुक्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति” अर्थात जो व्यक्ति अपने कमाये हुए धन को दो गतियों के अनुसार खर्च नहीं करता, उसका धन तीसरी गति तक आते-आते अपने आप ही नष्ट हो जाता है.
अत: धन कमाने के बाद पहला जरूरी कार्य है – दान. हमें अपने कमाये धन का कुछ भाग अवश्य दान करना चाहिए. लेकिन दान ऐसे व्यक्ति को दें, जिसे वास्तव में जरूरत हो. साथ ही दान करते समय बिल्कुल घमंड न करें. यह सहायता के रूप में होना चाहिए. उतना ही जरूरी है उसका भोग करना. यही धन के दो मूल उद्देश्य हैं. धन संचय इसलिए जरूरी है, क्योंकि विपत्ति में यह किसी करीबी से बढ़कर साथ निभाता है.
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