नयी दिल्ली : मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री चुनाव को लेकर जारी खींचतान के बीच प्रियंका गांधी गुरुवार को अपने भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के घर पहुंची. इसी बीच यह चर्चा तेज हो गयी है कि क्या वह 2019 के लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगी ? वह कई अवसर पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से रू-ब-रू होतीं रहीं हैं. यहां आपको बता दें कि प्रियंका की तुलना अक्सर उनकी दादी इंदिरा गांधी से की जाती है.
प्रियंका के हेयरस्टाइल, कपड़ों के चयन और बात करने के तरीके पर गौर किया जाए तो उसमे इंदिरा गांधी की छाप साफ दिखती है. जानकारों की मानें तो यह भी एक मुख्य कारण है कि प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने को लेकर चर्चा हमेशा होती है.
यदि हम प्रियंका गांधी के इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक भाषण 16 साल की उम्र में दिया था. राजनीति के जानकारों के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रियंका गांधी को बनारस से चुनाव लड़ाने का प्लान बना चुकी थी, लेकिन मोदी के खिलाफ खड़े होने के जोखिम से बचने की सलाह वरिष्ठ नेताओं ने दी जिसके बाद पार्टी ने यह प्लान ड्रॉप कर दिया.
यहां हम आपको एक साक्षात्कार की बात याद करा दें जिसमें यूपीए अध्यक्ष और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रियंका को लेकर एक बात कही थी. इस साक्षात्कार में सोनिया ने कहा था कि प्रियंका गांधी अभी अपने बच्चों को संभालने में लगी है. ऐसे में राजनीति कैसे करेंगी? हालांकि सोनिया गांधी ने आगे यह भी कहा था कि यह प्रियंका तय करेंगी कि वो राजनीति में कब आना चाहती हैं.
यहां चर्चा कर दें कि 11 दिसंबर 2018 को राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान संभाली थी. उससे पहले यह कहा जाता था कि यदि प्रियंका गांधी ने राजनीति मे कदम रखा तो भाई-बहन के बीच तुलना शुरू हो जाएगी. पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़ जाएगी. जो पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.
यही नहीं कहा तो यह भी जा रहा था कि प्रियंका गांधी के आने से राहुल गांधी के ग्राफ पर डाउन हो जाएगा. खैर अब कांग्रेस ने तीन राज्यों में जीत दर्ज की है और राहुल गांधी का कद बढ़ गया है. राजनीति के जानकारों की मानें तो यदि अब प्रियंका राजनीति में आतीं हैं तो राहुल गांधी का ग्राफ डाउन नहीं होगा और कांग्रेस को फायदा होगा.