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आसनसोल : छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा का शिकार बने संजीत को अश्रूपूर्ण श्रद्धांजलि, तिरंगे में लिपटा लौटा आसनसोल का लाल

आसनसोल : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार को आइईडी विस्फोट में शहीद हुए सीआरपीएफ के जेनरल ड्यूटी कांस्टेबल संजीत कुमार का तिरंगे में लिपटा शव बुधवार को उनके वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में आसनसोल की न्यू घूसिक कोलियरी इंदिरा कॉलोनी स्थित उनके आवास पर लाया गया. संजीत सुकमा में सीआरपीएफ के 150 डेल्टा बटालियन […]

आसनसोल : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार को आइईडी विस्फोट में शहीद हुए सीआरपीएफ के जेनरल ड्यूटी कांस्टेबल संजीत कुमार का तिरंगे में लिपटा शव बुधवार को उनके वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में आसनसोल की न्यू घूसिक कोलियरी इंदिरा कॉलोनी स्थित उनके आवास पर लाया गया. संजीत सुकमा में सीआरपीएफ के 150 डेल्टा बटालियन में बतौर कांस्टेबल तैनात थे.
उषाग्राम मोड पर हजारों की संख्या में स्थानीय लोग, उनके मित्र, परिचित दोपहर से ही खडे थे. अपराह्न तीन बजे सीआरपीएफ के वाहन के साथ आसनसोल में उनके पार्थिव शरीर के प्रवेश करते ही सभी फूल-माला लेकर उनके दर्शन और श्रद्धांजलि के लिए दौड़ पड़े. सीआरपीएफ के अधिकारियों के निर्देशानुसार शहीद संजीत के शव को सबसे पहले उनके परिजनों के अंतिम दर्शन के लिए इंदिरा कॉलोनी स्थित उनके आवास पर ले जाया गया.
परिजनों ने अंतिम दर्शन किये. परिजनों एवं रिश्तेदारों के अंतिम दर्शनों के बाद उनके शव को इंदिरा कॉलोनी स्थित उनके आवास के निकट मैदान में ले जाया गया. जहां स्थानीय लोगों, परिचितों, दोस्तों एवं कॉलोनी के निवासियों ने उनके अंतिम दर्शन किये. मैदान परिसर में सीआरपीएफ के वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों, डीआइजी विनय कुमार सिंह, डेप्यूटी कमांडेंट शुभेंदू पाठक, एसएस मंदीप, यशवंत राउत, एडीसीपी (सेंट्रल) सायक दास, सीआइ राजकुमार मालाकार, आलोक कुमार मित्रा, जोगेंद्र रॉय, विधायक सह एडीडीए के चेयरमैन तापस बनर्जी आदि ने श्रद्धांजलि दी.
राजकीय सम्मान के तहत पुलिस जवानों ने तीन राउंड हवा में फायरिंग कर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. श्रद्धांजलि के बाद शहीद संजीत के पार्थिव शरीर को अंतिम क्रिया के लिए कल्ला श्मशान घाट ले जाया गया. जहां उनका विधिवत अंतिम संस्कार किया गया. पार्षद बिश्वजीत रॉय चौधरी, संजय सिंह, शंभुनाथ गुप्ता, संतोष कुमार सिंह, सुदीप चौधरी, सोमनाथ तिवारी आदि उपस्थित थे.
‘संजीत कुमार अमर रहे’ से गूंजा इलाका
न्यू घूसिक कोलियरी इंदिरा कॉलोनी के प्रत्येक आवास से लोग सपरिवार उनके दर्शन के लिए मैदान पहुंचे थे. ‘संजीत कुमार अमर रहे, अमर रहे’ के नारों से न्यू घूसिक कोलियरी इलाका गूंज रहा था. शहीद संजीत के दर्शनों के लिए पहुंचने वाली भीड़ का अंदाजा लगाते हुए पुलिस ने पूरी तैयारी की थी.
न्यू घूसिक कोलियरी इलाके एवं शहीद संजीत के आवास इंदिरा आवास के निकट भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी थी. संजीत के दर्शनों के लिए न्यू घूसिक कोलियरी, कालीपहाडी, आसनसोल संलग्न इलाकों से पहुंचे हजारों का संख्या में लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पडी. एडीसीपी (सेंट्रल) सायक दास के नेतृत्व में भारी संख्या में पुलिस बल इलाके में तैनात किये गये थे.
और चीख-चीख कर रो पड़ी बेटी मुशवन
मैदान में चल रहे श्रद्धांजलि सभा के दौरान उनकी बेटी मुशवन घर से दौड़ती हुई श्रद्धांजलि स्थल पर पहुंची. पुलिस व अन्य परिचितों ने भावनात्मक कारणों से उसे रास्ते में ही रोक लिया. मुशवन ने हाथ जोड़ कर अपने पिता के अंतिम दर्शन की मिन्नतें मांगी. बाद में पुलिस एवं स्थानीय लोगों के सहयोग से उसे पिता के अंतिम दर्शन कराये गये. श्रद्धांजलि स्थल पर ही बेटी मुशवन दहाड़े मार कर रोने लगीं. जिससे माहौल और गमगीन हो गया.
बेटे के पार्थिव शरीर से लिपटने को बेसुध दौड़ी मां
संजीत का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके आवास पहुंचा, बेटे का शव देखते ही पिता राम अवध हरिजन ‘हाय रे बेटा’ कहकर दहाड़े मारकर रोने लगे. पथरायी हुयी उनकी आंखों के आंसू सूख चुके थे. बस बेटे के एक झलक देखने की ललक बची रही गयी थी. उसके बाद फिर से आंसुओं की धार लगातार बहती रही. रोती बिलखती मां सोनिया देवी बेटे के शव को सीने से लगाने के लिए दौड़ पड़ी. ‘मेरा बेटा, मेरा बेटा’ कहते कहते उनका गला भर आया था. पड़ोस की महिलाओं ने उन्हें किसी तरह संभाला.
पति का फोटो ले क्रंदन कर रही थी पत्नी
पत्नी सरोज देवी का रो-रोकर बुरा हाल था. हृदय रोग की मरीज पत्नी सरोज देवी की तबीयत मंगलवार को पति के शहीद होने की सूचना मिलते ही खराब हो गयी थी. रह-रहकर बेहोश हो रही थी. एलबम से पति का फोटो निकाल कर हाथों में लिए सरोज देवी रह-रहकर दहाड़ें मार कर क्रंदन कर रही थी.
इसीएल के स्वास्थ्य केंद्र से चिकित्सक बुलाकर उनका इलाज कराया गया और दवा दी गयी. मां को रोता देखकर बड़ी बेटी मुशवन, बेटा अभय कुमार और सबसे छोटा बेटा पवन कुमार भी रो रहे थे. पूरे परिवार की स्थिति देखकर पास-पड़ोस के लोग भी अपने आंसू नहीं रोक सके. पूरे इलाके में माहौल पूरी तरह गमगीन हो गया था.
बच्चों के प्रति पूरी तरह से रहे संवेदनशील
पिता रामअवध हरिजन ने कहा कि इसी वर्ष छठ पूजा की छुट्टियों में संजीत घर आया था. पूरे परिवार के साथ छठ पूजा हर्षोल्लास के साथ की थी. जाते जाते पिता से कह गया था कि अगली छुट्टी मिलते ही जल्द लौटेगा. उन्हें अपने इकलौते बेटे को खोने का गम जरूर रहेगा, परंतु उन्हें फक्र है कि उनका बेटा देश की रक्षा के लिए शहीद हुआ.
जरूरत पड़ी तो वे अपने दोनों पोतों को भी देश सेवा में भेजेंगे. दोस्तों ने बताया कि संजीत अपने परिवार और बच्चों के भविष्य को लेकर काफी गंभीर था. छुट्टियों में घर आने पर वह अपने कार्य माहौल की स्थिति दोस्तों के साथ साझा करता था. दोस्तों ने कहा कि संजीत ने बताया था कि वह जिस तरह की नौकरी में है. वह अच्छी तरह जानता है कि उसके साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है. इसलिए उसने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कई इंश्योरेंस कंपनियों में निवेश कर रखा था.
दोस्तों ने खोया जांबाज हमसफर साथी
दोस्तों ने बताया कि संजीत डीएवी स्कूल (बुधा, आसनसोल) से कक्षा एक से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की थी. संजीत तेज, मिलनसार, बहु प्रतिभा संपन्न और बहादुर स्वभाव के थे. वह कॉलोनी में हर उम्र के लोगों के साथ आसानी से घुल-मिल जाते थे. उन्होंने वर्ष 2006 में सीआरपीएफ में योगदान किया था.
पानागढ़ में सीआरपीएफ की बहाली की सूचना पाकर संजीत अपनी कॉलोनी के दोस्तों के साथ बहाली में हिस्सा लेने जा पहुंचे थे. जहां दौड़ व अन्य सारी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के बाद उनका चयन किया गया था. चयन के बाद सबसे पहले वे जम्मू कश्मिर में तैनात किये गये. वर्ष 2013 से दिसंबर, 2017 तक वे दिल्ली में केंद्र के एसपीजी में तैनात रहे. जनवरी, 2018 में उन्हें छत्तीसगढ़ के सुकमा में भेजा गया था. जहां वे सीआरपीएफ के 150 डेल्टा बटालियन में बतौर कांस्टेबल तैनात किये गये थे.

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