मध्य प्रदेश का चुनावी रिजल्ट भारत-पाकिस्तान के मैच के तरह रोमांचक रहा. मतगणना जैसे-जैसे आगे बढ़ती रही, वैसे-वैसे प्रत्याशियों व समर्थकों की धड़कनें घटती-बढ़ती रहीं. गिनती खत्म होने तक रोमांच बना रहा. कभी भाजपा वाले जीतने की उम्मीद मे ताली बजाते रहे तो कभी कांग्रेस वाले एक भी सीट बढ़ने पर पटाखा फोड़ते दिखे. प्राप्त अंतिम परिणाम के मुताबिक, भाजपा 109(+) सीटों पर तो कांग्रेस 112 (+) सीटों पर विजयी रही.
सत्ता की चाभी अन्य के हाथों में है, जिसे चार सीटें मिली हैं. सपा ने अपने बयान में खुद को कांग्रेस के साथ बताते हुए यह साफ कर दिया है कि यदि सरकार बनने के लिए जोड़-तोड़ की स्थिति बनी तो वे कांग्रेस को सपोर्ट देगी. मतदान के बाद आये एग्जिट पोल के नतीजों ने 15 साल से प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा एवं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की संभावना पहले ही व्यक्त कर दी थी. इस चुनाव में कुल 5,04,95,251 मतदाताओं में से 3,78,52,213 मतदाताओं यानी 75.05 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
चुनाव में 1,094 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 2,899 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 2,644 पुरुष, 250 महिलाएं एवं पांच ट्रांसजेंडर शामिल हैं. भाजपा ने सभी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे तो कांग्रेस ने 229 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. कांग्रेस ने एक सीट अपने सहयोगी शरद यादव के लोकतांत्रिक जनता दल के लिए छोड़ी थी. बसपा ने 227 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे.
मध्य प्रदेश
कुल सीटें 230
बहुमत 116
पिछली बार से 3.78 प्रतिशत वोट घटा
2018 मत% 2013 मत%
भाजपा 109 41.1 165 44.88
कांग्रेस 114 41.0 58 36.38
बसपा 02 2.2 04 06.29
अन्य 05 2.2 03 5.38
मप्र में भाजपा ने कांग्रेस को कम आंकने की गलती की. इस बार कांग्रेस ने संगठित होकर अच्छे तरीके से चुनाव लड़ा.
कैलाश विजयवर्गीय
क्षेत्रवार ब्रेक अप
क्षेत्र सीटें भाजपा कांग्रेस बसपा अन्य
चंबल 34 08 23 0201
विंध्य प्रदेश 56 34 21 0001
महाकौशल 49 23 26 0000
उत्तरी मालवा 63 34 28 0001
मालवा जनजातीय 28 10 16 0002
कई सीटों पर नोटा बनी भाजपा और कांग्रेस की हार की वजह
मध्यप्रदेश में वोटों की गिनती के बाद यह साफ हो गया कि इस बार का पूरा चुनाव नोटा के शिकंजे में रहा. यही कारण था कि दोनों ही पार्टियां एक दूसरे को बराबर कांटे की टक्कर देती दिखीं. आंकड़ों के हिसाब से भाजपा और कांग्रेस के मतों में केवल 0.3 प्रतिशत का अंतर था, जिसने काफी हद तक हार जीत को प्रभावित किया. ऐसे में करीब दो प्रतिशत वोट का नोटा में जाना पार्टियों के समीकरण को बिगाड़ने के लिए काफी था. जानकारी के मुताबिक, नोटा को करीब 323230 वोट मिले, जो कि करीब कुल मतों का दो प्रतिशत रहा.