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कोलकाता : सरस्वती विद्यामंदिर का पंजीकरण रद्द नहीं कर सकती सरकार : हाइकोर्ट

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य के माध्यमिक शिक्षा पर्षद द्वारा उत्तर दिनाजपुर जिले के इसलामपुर ब्लॉक के अंतर्गत स्थित सरस्वती विद्यामंदिर का पंजीकरण रद्द किये जाने पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगायी है और साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि माध्यमिक शिक्षा पर्षद स्कूल का पंजीकरण रद्द नहीं कर सकता […]

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य के माध्यमिक शिक्षा पर्षद द्वारा उत्तर दिनाजपुर जिले के इसलामपुर ब्लॉक के अंतर्गत स्थित सरस्वती विद्यामंदिर का पंजीकरण रद्द किये जाने पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगायी है और साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि माध्यमिक शिक्षा पर्षद स्कूल का पंजीकरण रद्द नहीं कर सकता है.
गाैरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा विभाग के अधीन पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा पर्षद ने आरएसएस द्वारा संचालित स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इस्लामपुर का नाम बदलकर ईश्वरपुर किये जाने के कारण उत्तर दिनाजपुर जिले के इस्लामपुर में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर व सरस्वती विद्या मंदिर की मान्यता को रद्द कर दिया था और पर्षद ने ई-मेल के जरिए इसकी सूचना जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजी थी.
उल्लेखनीय है कि माध्यमिक शिक्षा पर्षद ने पांच अक्तूबर, 2016 को स्कूल को मान्यता दी थी. इसके बाद विभिन्न समाचार पत्रों में इस संबंध में खबर प्रकाशित होने के बाद स्कूल प्रबंधन को अपनी बात रखने का मौका भी नहीं दिया और 15 नवंबर, 2018 को स्कूल की मान्यता रद्द कर दी. गौरतलब है कि ये दोनों स्कूल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अनुषंगी इकाई विद्या भारती द्वारा संचालित किये जाते हैं.
माध्यमिक शिक्षा पर्षद के इस फैसले के खिलाफ सरस्वती विद्यामंदिर के प्रबंधन ने 27 नवंबर को हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरस्वती विद्यामंदिर पक्ष के वकील अरिजीत बक्शी ने हाइकोर्ट को बताया कि स्कूल की मान्यता रद्द करने का अधिकार माध्यमिक शिक्षा पर्षद के पास नहीं है.
पर्षद ने ना ही स्कूल प्रबंधन व प्राचार्य से इस संबंध में कोई बात की और ना ही उन्हें कोई नोटिस दिया गया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पर्षद ने स्कूल के जिस नाम को मान्यता दी है, हर स्थान पर उसका ही प्रयोग हो रहा है. माध्यमिक शिक्षा पर्षद का यह फैसला राजनीति से प्रेरित है.
इस पर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल कौशिक चंद्र ने कहा कि पहले माध्यमिक शिक्षा पर्षद के पास स्कूल का पंजीकरण मंजूर करने या इसे रद्द करने का अधिकार था, लेकिन 2009 में शिक्षा के अधिकार कानून में पर्षद को यह अधिकार होने के बावजूद, वर्ष 2012 में राज्य सरकार ने नया कानून पारित किया, जिसमें कहा गया है कि जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार स्कूल का पंजीकरण रद्द भी कर सकती है, लेकिन हाइकोर्ट के न्यायाधीश शेखर बॉबी सराफ राज्य सरकार की दलीलों से संतुष्ठ नहीं हुए और उन्होंने पर्षद द्वारा जारी विज्ञप्ति को खारिज कर दिया.
साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूल व राज्य सरकार द्वारा सम्मिलित रूप से जिस नाम को अनुमति दी जायेगी, स्कूल का वही नाम भविष्य में प्रयोग किया जायेगा. बता दें कि स्कूल के बोर्ड और वाहनों पर इस्लामपुर के स्थान पर ईश्वरपुर लिख दिया गया था. इसके बाद माध्यमिक शिक्षा पर्षद ने संज्ञान लेते हुए मान्यता रद्द करने का निर्णय लिया था.

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