अमन तिवारी
रांची : राजधानी के थानों में दर्ज कई महत्वपूर्ण केस का अनुसंधान मृत या रिटायर हो चुके पुलिस अफसर कर रहे हैं. यह सुनने में अजीब जरूर लगे, पर पुलिस व्यवस्था की सच्चाई है.
इसका खुलासा कोतवाली डीएसपी अजीत कुमार विमल द्वारा तैयार रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार, कोतवाली थाना में पदस्थापित रह चुके जमादार गोपालजी सिंह की बीमारी से एक माह पहले मौत हो चुकी है, पर अब भी धोखाधड़ी से संबंधित चार महत्वपूर्ण केस के अनुसंधान की जिम्मेवारी उनके ही पास है. जमादार गोपी मांझी 31 अक्तूबर को रिटायर हो चुके हैं, लेकिन उनके पास भी वर्तमान में अनुसंधान के लिए सात केस हैं.
वहीं, कई पुलिस अधिकारियों का तो दूसरे विभाग में या किसी अन्य जिले में तबादला हो चुका है, लेकिन उनके जिम्मे भी महत्वपूर्ण केस के अनुसंधान की जिम्मेवारी है. कई केस तो ऐसे हैं, जिनका अनुसंधान वर्षों से लटका है. कोतवाली डीएसपी ने मृत, रिटायर्ड व ट्रांसफर हो चुके पुलिस अधिकारियों के पास वर्तमान में मौजूद केस की सूची तैयार कर रिपोर्ट एसएसपी को भेज दी है.
कई केस का अनुसंधान पांच सालों से लंबित : विश्राम उरांव का सीआइडी में ट्रांसफर हो चुका है, लेकिन उनके पास भी धोखाधड़ी सहित आठ मामले हैं.उत्पाद विभाग में प्रतिनियुक्ति पर गये दारोगा ललन प्रसाद के पास लूट और धोखाधड़ी के पांच मामले हैं. सभी अफसर पूर्व में कोतवाली थाना में पदस्थापित थे. राजधानी के दूसरे थाना में भी कई ऐसे मामले सामने आये हैं. जिनमें अनुसंधानक का तबादला दूसरे थाना या विभाग में हो चुका है. लेकिन उन्होंने अभी तक केस के अनुसंधान का प्रभार संबंधित थाना में दूसरे पुलिस पदाधिकारियों को नहीं सौंपा है. इनमें से कई केस ऐसे हैं, जो पांच साल से अनुसंधान के लिए लंबित हैं. ऐसे में पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिल पा रहा है.
मृत, रिटायर्ड व तबादला हो चुके
पुलिस अफसरों के पास है कई महत्वपूर्ण केस के अनुसंधान का जिम्मा
कोतवाली डीएसपी ने केस वार रिपोर्ट तैयार कर एसएसपी को सौंपी रिपोर्ट
मृत जमादार गोपालजी के जिम्मे चार केस का अनुसंधान
रिटायर्ड जमादार गोपी मांझी के
पास हैं सात केस
क्या हो सकती है कार्रवाई
अधिकारियों के अनुसार, ऐसे मामले में संबंधित अफसर पर रिपोर्ट करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है.जिनका तबादला हो चुका है, लेकिन उन्होंने अनुसंधान की रिपोर्ट प्रभारी को नहीं सौंपी है, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई हो सकती है. विभागीय कार्रवाई में सजा मिलने पर प्रमोशन भी बाधित हो सकता है.
तबादला होने के बाद भी जिन्होंने केस का चार्ज नहीं सौंपा है. उनका वेतन भी एसपी के आदेश पर बंद किया जा सकता है. इसके अलावा निलंबन की अनुशंसा भी की जा सकती है.