जिस राज्य में 3368 की आबादी पर एक बेड हो वहां औसतन 68 हजार की आबादी के लिए एक सरकारी अस्पताल है. ऐसे में जिलों में बेहतर स्थिति की कल्पना नहीं की जा सकती. एक हजार की आबादी पर .76 बेड वाले गिरिडीह की स्थिति कमोबेश इसी के आसपास है. बीमार यदि लाचार हो तो वह सरकारी अस्पताल जाने को विवश है, पर यहां आकर वह और भी अभागा हो जाता है.
मुन्ना प्रसाद4 गिरिडीह
फर्श पर खून का दाग तो कहीं मरीजों द्वारा उत्सर्जित कचरे, कहीं मेडिकल वेस्टेज तो कहीं जूठन और इन सबसे आ रही बदबू. और इन सबके बीच बेड पर इलाजरत लाचार मरीज. यह है गिरिडीह के स्वास्थ्य व्यवस्था की तसवीर पेश करता जिला का सदर अस्पताल. बीमार लोगों का इलाज करने वाला सदर अस्पताल आज खुद बीमार है. पिछले एक पखवारे से इसकी सफाई नहीं हो पायी है.
झाड़ू मारनेवाला तक नहीं : सदर अस्पताल के वार्ड और बरामदे की ही स्थिति बदतर नहीं, बल्कि उसके दरवाजे पर भी कचरों का ढेर लगा है. कचरों की बदबू से वहां ठहरना तो दूर आसपास से गुजरना भी मुश्किल है. पिछले 20 नवंबर को सदर अस्पताल के आउटसोर्सिंग कर्मियों की हड़ताल पर जाने के बाद से यहां यह स्थिति उत्पन्न हुई है. अब यहां झाडू मारनेवाले भी कोई नहीं है.
बदबू से परेशान हैं मरीज : सदर अस्पताल के कमरों की बदबू से लोगों के लिए बरामदे तक से गुजरना मुश्किल हो रहा है. प्रत्येक कमरे में मरीज भर्ती हैं. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर में स्थित पुरुष वार्ड में दो मरीज भर्ती हैं. अस्पताल के फर्श पर पसरे खून के दाग की सफाई नहीं होने से वहां बदबू फैल रही है.
इसी तरह बगल के शिशु वार्ड की गंदगी से भी लोग त्रस्त हैं. बगल में स्थित नर्सिंग रूम से सटे वार्ड में भी मरीज भर्ती हैं, पर वहां भी कचरों का अंबार है. इसकी सुधि लेने वाले कोई नहीं है. मरीज के परिजन स्वास्थ्यकर्मियों से अनुरोध कर थक चुके हैं. विभाग में तो किसी को फुर्सत नहीं.
कुत्ते और चूहों का बसेरा बना अस्पताल
सदर अस्पताल का वार्ड इन दिनों कुत्तों और चूहों का बसेरा बन गया है. कुत्ते कचरा अंदर-बाहर करते रहते हैं. दिन भर कुत्तों का वार्डों में बसेरा रह रहता है. सफाई नहीं होने से आसानी से उन्हें आहार मिल रहा है. ऐसे में वहां बड़ी तादाद में चूहे भी बरामदे में धमाचौकड़ी मचाते रहते हैं.
तीन स्थायी कर्मियों के बावजूद नहीं हो रही सफाई
विभागीय कर्मियों का कहना है कि सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग कर्मियों के अलावा तीन स्थायी सफाई कर्मी नियुक्त हैं. सभी सफाई कर्मी बूढ़े हो चले हैं. अब वे सफाई नहीं कर पाते हैं. उनके स्थान पर उनके परिवार के सदस्य ही उनका काम कर चले जाते हैं.
इन कर्मियों को आउटडोर के साथ-साथ अस्पताल परिसर की भी सफाई करनी होती है. ऐसे में नियमित सफाई नहीं कर पाते हैं. अस्पताल की सफाई कितने दिनों से नहीं हुई है यह कोई नहीं बता सकता.
मरीजों के परिजनों को ही करनी होगी सफाई : उपाधीक्षक
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. बीएन झा ने कहा कि आउटसोर्सिंग कर्मियों की हड़ताल के कारण सदर अस्पताल की यह स्थिति बनी है. तीन स्थायी सफाई कर्मी है तो उसमें एक बीमार व दो वृद्ध हो चुके हैं. वे सफाई कर पाने में असमर्थ हैं. अस्पताल व उसके परिसर की सफाई के लिए नगर निगम को पत्र लिखा गया है. रिमाइंडर भी दिया गया है, पर नगर निगम ने भी हाथ खड़ा कर लिया है. ऐसे में जिस वार्ड में जो मरीज भर्ती होते हैं उसके परिजन को ही इसकी सफाई करनी होगी.
परिजनों की व्यथा : इलाज कराना है तो कराओ नहीं तो जाओ
शिशु वार्ड में थैलेसीमिया से ग्रस्त तीन बच्चे भर्ती हैं. साथ में उनके परिजन भी हैं. इनमें गिरिडीह सदर की मनिकलालो निवासी लक्ष्मी कुमारी (9), इसी प्रखंड के लेदा के कैलाश दास (10) और तिसरी के लोकाय थाना क्षेत्र के हरहरा निवासी गुलाम मो (7) हैं. लक्ष्मी के पिता कारू दास कहते हैं कि जिला में थैलेसीमिया के कुल 126 मरीजों को सदर अस्पताल में हर माह में चार बार रक्त चढ़ाया जाता है.
बुधवार को तीन मरीज आये हैं. अपनी आवश्यकतानुसार मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, पर अस्पताल के कचरे की बदबू से बच्चे परेशान हैं. कहते हैं : वार्ड की सफाई को कहने पर कहा जाता है कि कर्मी हड़ताल पर हैं. इलाज कराना है तो कराओ अन्यथा जाओ. इधर, हरहरा के गुलाम मो के पिता मो मुख्तार आलम कहते हैं कि इलाज के लिए यहां आने का मतलब रोगों की सौगात लेना है. इससे बेहतर तो बाहर साफ-सफाई है. खून चढ़ाना जरूरी नहीं होता तो वे यहां नहीं रुकते.
आउटसोर्सिंग कर्मियों का धरना जारी
गिरिडीह. झारखंड प्रदेश असंगठित मजदूर कांग्रेस के बैनर तले सदर अस्पताल एवं चैताडीह में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की हड़ताल 16वें दिन भी जारी रही. चार सूत्री मांगों को लेकर सभी कर्मी आंदोलन पर डटे हैं. कर्मचारियों ने बताया कि वेतन के अभाव में उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी है. इसे लेकर सदर अस्पताल में आयोजित धरना में नरेंद्र नारायण सिंह, भतर प्रसाद गुप्ता, महावीर हरिजन, नरेश वर्मा, रामप्रसाद, राजन, राकेश, मीना, मालती, मोहनी समेत कई लोग मौजूद थे.