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जब ऑस्ट्रेलिया में जीत पर कप्तानी की बात हो तो बेदी को भूल नहीं सकते

अनुज कुमार सिन्हा काेहली की कप्तानी में टीम इंडिया अॉस्ट्रेलिया में है. एडिलेड में छह दिसंबर से टेस्ट हाेगा. यही बात हाे रही है कि काेहली अॉस्ट्रेलिया में इतिहास (जीत कर) रचेंगे या नहीं. गांगुली आैर धाैनी काे सबसे सफल कप्तान माना जाता रहा है, लेकिन जब अॉस्ट्रेलिया दाैरे की बात आती है, ताे एक […]

अनुज कुमार सिन्हा
काेहली की कप्तानी में टीम इंडिया अॉस्ट्रेलिया में है. एडिलेड में छह दिसंबर से टेस्ट हाेगा. यही बात हाे रही है कि काेहली अॉस्ट्रेलिया में इतिहास (जीत कर) रचेंगे या नहीं. गांगुली आैर धाैनी काे सबसे सफल कप्तान माना जाता रहा है, लेकिन जब अॉस्ट्रेलिया दाैरे की बात आती है, ताे एक कप्तानी की काेई चर्चा नहीं करता. अॉस्ट्रेलिया की धरती पर उससे बेहतर भारतीय कप्तान काेई नहीं हुआ है.
उस कप्तान का नाम है बिशन सिंह बेदी. 1977-78 में अगर बेदी के भाग्य ने थाेड़ा सा भी साथ दिया हाेता, ताे 3-2 से भारत उसी साल अॉस्ट्रेलिया काे उसी की धरती पर धूल चटा कर सीरीज जीत गया हाेता. काेई बात नहीं. पहला दाे टेस्ट मामूली अंतर से हारने के बाद भारत ने अगला दाेनाें टेस्ट जीत कर सीरीज काे 2-2 की बराबरी पर ला दिया था. अंतिम टेस्ट भले ही भारत हार गया, लेकिन अॉस्ट्रेलिया में अॉस्ट्रेलिया काे लगातार दाे टेस्ट में हराना काेई मामूली बात नहीं है. चार मैच (पांचवें की बात बाद में हाेगी) की बात करें, ताे भारत भारी रहा था. दाे मैच हारे, ताे मामूली अंतर से यानी 16 रन (ब्रिसबेन) आैर दाे विकेट से (पर्थ). जीते ताे शानदार, 222 रन (मेलबर्न) से आैर पारी व दाे रन (सिडनी) से.
बेदी काे छाेड़ दें ताे किसी भी कप्तान ने अॉस्ट्रेलिया काे टेस्ट में दाे बार नहीं हराया है. बेदी ने वह करिश्मा तब दिखाया था, जब क्रिकेट की दुनिया में भारत पिछड़ा था. तब कपिलदेव ने टेस्ट खेलना आरंभ भी नहीं किया था. मदनलाल गेंदबाजी की शुरुआत करते थे. दूसरा आेवर फेंकने के लिए काेई तेज गेंदबाज नहीं हाेता था. ऐसे में माेहिंदर अमरनाथ दूसरा-चाैथा आेवर फेंक कर गेंद काे पुरानी करते थे. बाकी काम स्पिनर करते थे. वह युग था स्पिनर्स का. बेदी, चंद्रशेखर आैर प्रसन्ना का.
अब ताे भारत के पास दुनिया के बेहतरीन तेज गेंदबाज हैं, बेहतरीन बल्लेबाज हैं. तब गावस्कर काे छाेड़ कर (कुछ हद तक गुंडप्पा विश्वनाथ काे भी) काेई विश्वस्तरीय बल्लेबाज नहीं था. वेंगसरकर, चेतन चाैहान, माेहिंदर अमरनाथ आैर विकेटकीपर सैयद किरमानी ने शानदारी बल्लेबाजी कर बेदी की सहायता की थी.
गावस्कर ने पहले तीनाें टेस्ट में शतक लगा कर ज्याेफ थॉमसन काे जवाब दिया था. भारतीय स्पिनर्स कितने हावी थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांच टेस्ट में बेदी ने 31 आैर चंद्रशेखर ने 28 विकेट लिये थे. मेलबर्न में ताे 20 विकेट में से 18 विकेट स्पिनर्स ने लिये थे. ध्यान देने की बात यह है कि ये टेस्ट भारत की धरती पर नहीं, बल्कि अॉस्ट्रेलिया की धरती पर खेले गये थे, जहां तेज गेंदबाजाें काे विकेट से मदद मिलती है.
ब्रिसबेन आैर पर्थ में जीत सकते थे
पहला मैच ब्रिसबेन में हुआ था. भारत सिर्फ 16 रन से हार गया था. भारतीय गेंदबाजाें ने अॉस्ट्रेलिया काे पहली पारी में सिर्फ 166 पर समेट दिया था, लेकिन खुद भारतीय टीम 153 पर आउट हाे गयी थी. टीम इंडिया इसका फायदा नहीं उठा सकी.
दूसरी पारी में भारत आैर अॉस्ट्रेलिया दाेनाें ने एक ही तरह का खेल दिखाया था. अगर पहली पारी में 20 रन भी भारत आैर बना लिया हाेता, ताे जीत से ही भारत की शुरुआत हाेती. दूसरा टेस्ट पर्थ में खेला गया था. माेहिंदर अमरनाथ ने 90 आैर 100 रन की पारी खेली थी. गावस्कर का भी शतक था. दुनिया के इस सबसे तेज विकेट पर अॉफ स्पिनर (कप्तान भी) बेदी ने दाेनाें पारियाें में पांच-पांच विकेट लिये थे. भारत काे दूसरी पारी 330 पर मजबूरी में घाेषित करनी पड़ी थी.
कारण था जब बेदी आैर चंद्रशेखर बल्लेबाजी कर रहे थे, दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज ज्याेफ थॉमसन ने उन्हें निशाना बनाना चाहा. चंद्रशेखर पहली ही गेंद खेले थे कि बेदी ने पारी घाेषित करने का निर्णय लिया. थॉमसन काे आेवर पूरा करने का भी माैका नहीं दिया. चंद्रा मुख्य गेंदबाज थे आैर अगर वे घायल हाे जाते, ताे भारत संकट में पड़ जाता. इसके बावजूद भारत अच्छी स्थिति में था, लेकिन नाइट वाचमैन मान ने शतक बना कर संभाल लिया. अंतत: अॉस्ट्रेलिया दाे विकेट से जीत गया.
मेलबर्न आैर सिडनी में भारत की जीत
दाे टेस्ट भारत हार चुका था, भले ही मामूली अंतर से. लेकिन तीसरे टेस्ट में भारत ने सूद समेत वसूल लिया. 222 रन से तीसरा टेस्ट भारत ने जीता. यह अॉस्ट्रेलिया की धरती पर भारत की पहली जीत थी. कमाल दिखाया था चंद्रशेखर ने.
वही चंद्रशेखर, जिसे पर्थ में थॉमसन ने निशाना बनाना चाहा था. चंद्रशेखर ने दाेनाें पारियाें में छह-छह विकेट यानी कुल 12 विकेट लेकर अॉस्ट्रेलिया काे पस्त कर दिया था. यह थी बेदी की कप्तानी आैर स्पिनर्स का कमाल. 222 रन की जीत बहुत बड़ी जीत थी आैर भारतीय टीम का मनाेबल बढ़ा हुआ था. अगला टेस्ट यानी चाैथा टेस्ट सिडनी में खेला गया. भारत ने इस बार अॉस्ट्रेलिया काे पारी से (एक पारी आैर दाे रन) से मात दी. शर्मनाक हार. भारतीय गेंदबाजाें ने अॉस्ट्रेलिया काे पहली पारी में सिर्फ 131 रन पर समेट दिया था.
तब टीम में अॉल राउंडर घावरी काे शामिल किया गया था, जाे मध्यम गति आैर स्पिन दाेनाें फेंक सकते थे. अच्छी बल्लेबाजी भी करते थे. सिडनी में घावरी ने अच्छी भूमिका निभायी. लगातार दाे टेस्ट में भारत की लगातार दाे जीत. अॉस्ट्रेलिया की लगातार दाे हार. बेदी की टीम ने इतिहास ताे वहीं रच दिया था. अब देखना था कि सीरीज जीत पाता है या नहीं.
एडिलेड का छह दिनाें का टेस्ट
भारतीय टीम पूरे फॉर्म में थी. इस बात की संभावना थी कि भारत सीरीज जीत सकता है. चाैथा टेस्ट एडिलेड में शुरू हुआ. अंपायरिंग में पक्षपात का भी भारत ने आराेप लगाया. अॉस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 505 रन का बड़ा स्काेर खड़ा कर लिया. उम्मीद उस समय धूमिल पड़ गयी, जब भारत का पहला तीनाें विकेट (सब बड़े खिलाड़ी) 23 रन पर पवेलियन लाैट गये. इतनी खराब शुरुआत के बावजूद टीम इंडिया ने संघर्ष किया. अॉस्ट्रेलिया ने भारत के सामने जीत के लिए 493 रन का विशाल स्काेर रखा था (जाे आज तक कभी नहीं बना है).
पांचवें दिन मैच का फैसला नहीं हाे सका आैर ऐसा नियम था कि जब सीरीज बराबरी पर हाे आैर अंतिम टेस्ट में पांचवें दिन भी निर्णय न निकले, ताे छठा दिन भी मैच हाेगा. मैच छठे दिन भी खेला गया. भारतीय खिलाड़ियाें ने शानदार संघर्ष किया आैर 445 रन तक बना दिये. सिर्फ 47 रन से भारत हार गया. चाैथी पारी में 445 रन बनाना आसान काम नहीं है, लेकिन बेदी की टीम वहां तक पहुंच गयी थी. जाे भी हाे, भारत ने दाे लगातार टेस्ट में अॉस्ट्रेलिया काे उसी धरती पर जिस तरीके से हराया था, बेदी की उस टीम काे याद किया जाना चाहिए. अब काेहली की टीम से यह उम्मीद की जा सकती है.
आठ गेंद का आेवर
सिडनी टेस्ट में करसन घावरी का गेंदबाजी विश्लेषण इस प्रकार था : 12.7-3-42-2. इसे देख कर आज काेई भी कह सकता है कि आंकड़ा गलत है. काेई गेंदबाज 12.7 यानी सातवीं गेंद कैसे फेंक सकता है, जबकि छह गेंद का आेवर हाेता है. यह आंकड़ा सही था. उन दिनाें अॉस्ट्रेलिया में आठ गेंदाें का एक आेवर फेंका जाता था. तब थॉमसन आैर क्लार्क जैसे गेंदबाजाें की लगातार आठ गेंदाें काे खेलना कितना कठिन था. विपरीत माहाैल में भी मामूली भारतीय टीम ने बेदी की अगुवाई में अपना काम कर दिखाया था.
चंद्रशेखर : पांच टेस्ट, 28 विकेट, रन चार
चंद्रशेखर दुनिया के महान लेग स्पिनर रहे हैं. विकेट ज्यादा लिया है, लेकिन रन कम बनाये हैं. कारण है उनका एक हाथ पाेलियाे से ग्रस्त था. 1977-78 के उस सीरीज में चंद्रशेखर ने 28 विकेट लिये थे. उनका रन इस प्रकार था : ब्रिसबेन 0, 0. पर्थ 0, 0. मेलबर्न 0, 0. सिडनी में बल्लेबाजी नहीं की, एडिलेड 2,2. यानी कुल चार रन. याद रखिए, चंद्रशेखर द्वारा बनाया गया एक-एक रन किसी शतक से कम नहीं हाेता था. इस महान खिलाड़ी ने भले ही रन नहीं बनाया हाे, लेकिन भारतीय टीम काे हर संकट से उबारा आैर ऐतिहासक जीत दिलायी. अब युग बदल गया है, लेकिन बेदी-चंद्रा-प्रसन्ना-राघवन युग के यादगार पल काे याद किया जाना चाहिए.

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