बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता और ऊर्जावान व्यक्तित्व के मालिक देव आनंद आज भी अपने प्रशंसकों की यादों में हैं. जब वे इंडस्ट्री में नये थे, जब स्टार बने और जब उनकी फिल्में पिटने लगीं तब भी उनकी ऊर्जा कम नहीं हुई. वे हमेशा यह कहते थे कि नये-नये विषयों पर फिल्म बनाना हमारा काम है, फिल्म चलेगी या पिट जायेगी यह सोचने में वक्त खराब करने से क्या फायदा. देव आनंद पर्दे पर अपने रोमाटिंक अंदाज के लिए भी जाने गये. उनके रोमांस के दीवाने आज भी हैं.
30 रुपये लेकर मुंबई पहुंचे थे देव आनंद
देव आनंद अंग्रेजी में स्नातक थे और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे हीरो बनेंगे. लेकिन किस्मत उन्हें पंजाब से मुंबई ले आयी और वे हीरो बन गये. बॉलीवुड के त्रिदेव दिलीप कुमार, देव आनंद और राजकपूर अपने-अपने क्षेत्र में मिसाल रहे हैं. देव आनंद मात्र 30 रुपये लेकर मुंबई पहुंचे थे. उनके खुशमिजाज स्वभाव और खिलते चेहरे को देखकर इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि उन्होंने इस इंडस्ट्री में खुद को स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत की थी.
सुरैय्या से मोहब्बत करते थे देव आनंद लेकिन…
एक वक्त था जब देव आनंद और अभिनेत्री सुरैय्या के रुहानी मोहब्बत के किस्से सुर्खियों पर थे. सुरैय्या की बला की खूबसूरती देखकर देव साहब पहली ही नजर में सुरैय्या को दिल दे बैठे थे. दोनों 4 साल तक एकदूसरे के साथ रहे और दोनों ने कई फिल्मों में काम भी किया लेकिन बदकिस्मती से कोई भी फिल्म हिट नहीं रही. अपने पहले प्यार सुरैय्या से शादी करने के लिए देव आनंद हर दीवार, हर हद को पार कर लेना चाहते थे लेकिन सुरैय्या अपने घर की तहलीज को पार न कर सकीं. अपनी नानी के इनकार के आगे वे हार गईं और देव साहब कर जिंदगी से हमेशा-हमेशा के लिए चली गर्इं. बाद देवआनंद तो आगे बढ़ गये लेकिन सुरैय्या ने आजीवन शादी नहीं की.
‘टैक्सी ड्राईवर’ की शूटिंग और….
सुरैय्या के इनकार के बाद देव आनंद अपने करियर की ओर ध्यान देने लगे. इसी दौरान वर्ष 1951 की फिल्म ‘बाजी’ के सेट पर उनकी मुलाकात अभिनेत्री कल्पना कार्तिक से हुई जो फिल्म में एक सह अभिनेत्री का किरदार निभा रही थीं. दोनों ने कई फिल्मों में काम किया और दोनों की नजदीकियां भी बढ़ने लगे. लेकिन ‘टैक्सी ड्राईवर’ की शूटिंग के दौरान जो हुआ उसने उनके फैंस को हैरान कर दिया. दरअसल इस फिल्म की शूटिंग चल रही थी और अचानक देव साहब ने राजिस्ट्रार को बुलाया और स्टूडियो में ही कल्पना कार्तिक से शादी कर ली. ऐसा कहा जाता है कि शादी का फैसला देव साहब ने 10 मिनट में लिया था.
‘मैं जिंदगी के साथ निभाता चला गया…’
‘मैं जिंदगी के साथ निभाता चला गया, हर फिक्र करे धुंए में उड़ता चला गया’ कुछ इसी तरह से जिदंगी को जीते थे देव आनंद. वर्ष 1945 में फिल्म ‘हम एक हैं’ देव आनंद ने बॉलीवुड में अपने सिने करियर की शुरूआत की थी. इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘जिद्दी’ में काम किया जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई थी. 1951 में आई फिल्म ‘बाजी’ में काम किया था. यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई थी. इसके बाद उन्होंने ‘मुनीम जी’, ‘सी आई डी’, ‘पेइंग गेस्ट’, ‘राही’ और ‘आंधियों’ जैसे फिल्मों में नजर आये और अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में एक अलग जगह बना ली.
शिद्दत से मोहब्बत करते थे देव आनंद
देव आनंद ने ‘नौ दो ग्यारह’, ‘गाईड’, ‘काला पानी’, ‘काला बाजार’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘देश परदेश’ और ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया था. जब किशोर कुमार अपनी गायकी के चरम पर नहीं थी उस समय देव आनंद ने उन्हें अपनी कई फिल्मों में गाने का मौका मिला. किशोर कुमार ने अपनी कई फिल्मों में देव आनंद को आवाज दी. वे पहले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने अपने रोमांटिक किरदार को पर्दे पर दिखाया. उन्होंने अपनी फिल्मों में बहुत ही शिद्दत से मोहब्बत की दर्शाया.
पुरस्कार
वर्ष 1959 में रिलीज हुई फिल्म ‘काला पानी’ के लिए देव आनंद को सर्वश्रेष्ठ कलाकार का पुरस्कार मिला था. वे फिल्म ‘गाईड’ के लिए भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार से नवाजे गये थे. देव आनंद को कला क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए भारत सरकार की ओर से पद्म भूषण दिया गया था.