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”घेरा डालो डेरा डालो” भोजन के लिए लकड़ी चुनकर ला रहे पारा शिक्षक

– कंधों से ढोकर पानी लाने को मजबूर संजय सागर@बड़कागांव पाराशिक्षक-शिक्षाकाएं भोजन बनाने के लिए लकड़ियों को चुन -चुन कर लाते हैं व पानी भरकर कंधों पर रखकर लाते हैं और भोजन बनाते हैं. सभी इससे एकदूसरे को बांटकर खाते हैं और खिलाते हैं. कुछ पारा शिक्षक तो रात का बचा-खुचा बासी भोजन भी खाने […]

– कंधों से ढोकर पानी लाने को मजबूर

संजय सागर@बड़कागांव

पाराशिक्षक-शिक्षाकाएं भोजन बनाने के लिए लकड़ियों को चुन -चुन कर लाते हैं व पानी भरकर कंधों पर रखकर लाते हैं और भोजन बनाते हैं. सभी इससे एकदूसरे को बांटकर खाते हैं और खिलाते हैं. कुछ पारा शिक्षक तो रात का बचा-खुचा बासी भोजन भी खाने को मजबूर हैं यह हाल केंद्रीय राज्य विमानन मंत्री जयंत सिन्‍हा के आवास ऋषभ वाटिका के पास देखने को मिल रहा है. यहां पारा शिक्षकों का घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन का 25 नवंबर से जारी है.

बढ़ती ठंड के मौसम में भी हर समस्याओं से जूझते हुए पारा शिक्षक टिके हुए हैं. इस तरह का आंदोलन झारखंड राज्य के सत्ताधारी विधायकों और सांसदों के घरों के सामने आंदोलन जोरों पर है. आंदोलन के पांचवें दिन बीत जाने के बावजूद भी सरकार द्वारा अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गयी है.

इसलिए पारा शिक्षकों का आक्रोश सातवें आसमान की ओर बढ़ता जा रहा है. हजारीबाग में केंद्रीय राज्य विमानन मंत्री जयंत सिन्‍हा के घर के सामने पारा शिक्षकों का घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन का पांचवें दिन की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष चंदन मेहता व संचालन बड़कागांव के प्रखंड अध्यक्ष शमशेर आलम ने किया.

इन पारा शिक्षकों को हौसला बढ़ाने के लिए प्रबंधन शिक्षा समिति के अध्यक्ष व सदस्य गण आते रहते हैं. अध्यक्षता जिला अध्यक्ष चंदन मेहता एवं संचालन बड़कागांव प्रखंड के अध्यक्ष शमशेर आलम ने किया. अपने अध्यक्षीय भाषण में चंदन मेहता ने कहा कि सरकार और पारा शिक्षकों के बीच वार्ता हो इस वार्ता में सम्मानजनक वेतन के साथ सारी सरकारी सुविधाएं मिलें. साथ ही टेट पास पारा शिक्षकों की सीधी नियुक्ति हो.

मानदेय नहीं मिलने पर भूखमरी

शिक्षकों ने कहा कि जिन हाथों में कलम हुआ कॉपी वह बच्चों को पढ़ाने के लिए खली व डस्टर होता है उन्हीं हाथों को हथकड़ियों से सरकार जकड़ ली है. हक और अधिकार मांगने पर हमारे पारा शिक्षक-शिक्षिकाओं को जेल में बंद कर दी गयी है. हमें चोर व डकैतों की तरह सरकार द्वारा बर्ताव की जा रही है. यह लोकतांत्रिक देश के लिए लाजमी है.

यह सब भगवान बिरसा मुंडा ,चांद-भैरव, तिलका मांझी, निर्मल महतो जैसे शहीदों की आत्मा देखते होंगे वे आत्मा भी झारखंड सरकार को कोसते होंगे. पारा शिक्षकों ने बारी-बारी से कहा कि महंगाई इतनी बढ़ी हुई है कि हम पारा शिक्षकों को माड़ और साग के सहारे जीना पड़ रहा है. कभी-कभार ऐसा होता है कि जब हमें चार-पांच महीने तक मानदेय नहीं मिलता है, तो चूल्‍हा जलना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसी परिस्थिति को सरकार को भी समझना चाहिए.

मौके पर संघ के जिला अध्यक्ष चंदन मेहता बड़कागांव प्रखंड अध्यक्ष शमशेर आलम सचिव पारस महतो पदमा प्रखंड के अध्यक्ष प्रवीण पांडेय, विकास कुमार ,सुनीता देवी, इंदु कुमारी, रंजीत खलखो ,जागेश्वर प्रसाद ,चैता भुइया ,शिवनंदन कुमार मेहता ,बालेश्वर कुमार साहू, नरेश कुमार, रोहिता कुमारी ,खिरोधर ठाकुर, दीपक मींज,अनिता कुमारी, देवंती कुमारी ,टाटीझरिया के रंजीता तिर्की, चुरचू प्रखंड के सुषमा हेम्ब्रम, अंजनी ,रीना कुजुर ,संगीता तिग्गा, टाटीझरिया के रेशमा देवी ,मांडू प्रखंड के , उषा रानी कुजुर, मंजू देवी ,बरका गांव के मोती गिरी, धनेश्वर नायक, संजय कुमार ,मोहम्मद मुस्ताक अली, मोहम्मद हाशिम, विरेंद्र कुमार ,नकुल महतो, दशरथ कुशवाहा, हीरामणि प्रसाद दांगी ,अजीमुल्लाह, सुलेखा देवी, वसंत नारायण महतो, नीलम देवी, राधिका देवी ,सुमित्रा देवी, अनीता देवी ,नरेश कुमार समेत सैकड़ों पारा शिक्षक शामिल हुए .इस आंदोलन में बड़कागांव प्रखंड, केरेडारी प्रखंड ,पदमा प्रखंड ,टाटीझरिया, डाड़ी प्रखंड सदर प्रखंड,इचाक प्रखंड के पारा शिक्षक धरना में शामिल है.

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