आरा :भोजपुर जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में बीते मंगलवार को चिकित्सकों द्वारा हंगामा किये जाने के खिलाफ एसडीएम कोर्ट ने डॉक्टरों पर धारा-107 लगाते हुए डॉक्टरों को अनुमंडल कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था. साथ ही निर्देश देते हुए पूछा था कि कि एक साल तक शांति भंग नहीं करने के लिए आपलोगों के विरुद्ध दस लाख रुपये की राशि और इतनी ही राशि के दो जमानतदार के साथ बंध पत्र लिखने के लिए आदेश क्यों नहीं पारित किया जाये? अनुमंडलाधिकारी ने डॉ नरेश प्रसाद और डॉ टीए अंसारी को निर्देश जारी किया है.
निजी प्रैक्टिस करनेवाले चिकित्सकों पर भी होगी कार्रवाई
जिलाधिकारी संजीव कुमार ने सरकारी नौकरी में रहते हुए निजी प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टरों के विरुद्ध कड़ा कदम उठाते कहा है कि शहर के निजी प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टरों पर भी कार्रवाई की जायेगी. साथ ही क्लिनिकल एक्ट के तहत जांच करते हुए नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी. ऐसे लोगों की सूची तैयार की जा रही है.
हड़ताली डॉक्टरों से मांगा गया स्पष्टीकरण
जिलाधिकारी ने हड़ताल पर गये करीब 35 डॉक्टरों से स्पष्टीकरण की मांग की है. साथ ही कहा है कि पूरे मामले की जांच कर उनके खिलाफ नियमानुकूल कार्रवाई की जायेगी. मरीजों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों द्वारा की गयी हड़ताल अवैध है. जनहित के मामले में दोषी पाते हुए उनसे स्पष्टीकरण की मांग की गयी. सरकार द्वारा बनायी गयी नियमावली के अनुसार सभी सरकारी सेवकों को कार्य करना होगा.
आईएमए ने की जिलाधिकारी के तबादले की मांग
इधर, आईएमए ने जिलाधिकारी के तबादले की मांग करते हुए जिला मुख्यालय के सभी निजी क्लिनिक बंद रखने का आह्वान किया है. जिलाधिकारी के आदेश के बाद आईएमए के आह्वान पर निजी क्लिनिक को बंद रखा गया है.
पुलिस छावनी में तब्दील रहा अस्पताल
डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने के बाद अप्रिय घटना की आशंका के मद्देनजर जिला प्रशासन ने ऐहतियात की तौर पर पूरे अस्पताल परिसर में फोर्स की तैनाती कर दी है. इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात सुरक्षा तथा कंट्रोल रूम के पास पुलिस बल तैनात कर दिये गये हैं. साथ ही मजिस्ट्रेट की भी तैनाती की गयी.
जिलाधिकारी को मिला कई कई संगठनों का साथ
कई स्थानीय संगठनों ने जिलाधिकारी के निर्णय का स्वागत किया है. जिलाधिकारी के पक्ष में होते हुए संगठनों ने डॉक्टरों के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. संगठन के लोगों ने मांग करते हुए कहा कि सदर अस्पताल में पदस्थापित डॉक्टरों को जिले से बाहर कर देना चाहिए. शहर में रहकर अस्पताल की ड्यूटी नहीं करते हैं. जबकि, प्राइवेट क्लिनिकों में मरीजों का शोषण किया जाता है. ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए.