रांची : ‘यूनिसेफ झारखंड चिल्ड्रेंस फिल्म फेस्टिवल सह वर्कशॉप’ के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता फ़िल्म निर्माता बटुल मुख्तियार ने कहा कि मैं यहां आकर बहुत खुश हूं. चिल्ड्रेंसफ़िल्म फेस्टिवल के मौके पर आना और यहां के बच्चों में फिल्मों के प्रति ऐसा उत्साह देखना मुझे बहुत अच्छा लगा.
कार्यक्रम में स्वागत भाषण करते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी के जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ देव व्रत सिंह ने कहा कि तीन साल से यूनिसेफ के साथ मिलकर बच्चों के लिए यह आयोजन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए बनने वाली फिल्मों की कमी के कारण बच्चे वयस्कों की फिल्में और विदेशी कार्टून देखने पर मजबूर हैं. उन्होंने इस मौके पर सवाल उठाया कि जो बॉलीवुड सबसे ज्यादा फिल्मों का निर्माण करता है, वहां बच्चों के कितनी फिल्में बनती हैं?
गौरतलब है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी, यूनिसेफ और प्रभात खबर के संयुक्त प्रयास से इस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम में यूनिसेफ की प्रतिनिधि मोयरा दावा ने कहा कि कल अंतराष्ट्रीय बाल दिवस है जो बाल अधिकारों को संयुक्त राष्ट्र संघ की तरफ से स्वीकृति मिलने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. ऐसे में इस तरह के आयोजन बहुत मायने रखते हैं.
प्रभात खबर के संपादक विनय भूषण ने अपने संबोधन में झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय ,यूनिसेफ और चिल्ड्रन फ़िल्म सोसाइटी इंडिया की प्रशंसा करते हुए कहा कि झारखंड में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन सराहनीय है. उन्होंने यह भी कहा कि रांची में अंतराष्ट्रीय स्तर के फिल्मकार हैं मगर अपने ही शहर में गुमनाम हैं.