प्राय: हम मां की ममता का ही बखान क्यों करते हैं? यह सही है कि मां की अहम भूमिका है हमारे जीवन में. उनका त्याग और समर्पण अवर्णनीय है. उनका ममत्व तुलनारहित है, लेकिन इस सबमें हम पिता के योगदान को क्यों भूल जाते हैं? पिता हमारे परिवार के मुख्य स्तंभ की भांति हैं.
परिवार का कोई भी सदस्य रूपी दीवार कहीं से भी चरमराता है, तो पिता रूपी स्तंभ उसे थाम लेता है. फिर पिता की अहमियत का वर्णन क्यों नहीं होता? मां अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम होती है, किंतु सभी पिता मन के भावों को प्रकट नहीं कर पाते. इसका अर्थ यह नहीं कि वे संवेदनारहित हैं. अपने परिवार और बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वह अपनी आवश्यकताओं की तिलांजलि देकर उसकी हर इच्छा को पूरा करने में सारा जीवन झोंक देते हैं.
विपुल कुमार, दानापुर बाजार, पटना