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पटना : पिता को खाना देकर लौट रहा 10 साल का बच्चा संप हाउस के आउट फॉल चेंबर में गिरा, बच्चा लापता
निगम की टीम बिना संसाधन के नाले में खोजने लगी बच्चा, बाद में ऑक्सीजन मास्क लगा कर भी नहीं खोजा जा सका पटना : शनिवार की दोपहर एक बज कर तीस मिनट पर अपने फल विक्रेता पिता को खाना देकर आ रहा 10 साल का बच्चा घर से पिता को खाना देकर घर लौटते समय […]
निगम की टीम बिना संसाधन के नाले में खोजने लगी बच्चा, बाद में ऑक्सीजन मास्क लगा कर भी नहीं खोजा जा सका
पटना : शनिवार की दोपहर एक बज कर तीस मिनट पर अपने फल विक्रेता पिता को खाना देकर आ रहा 10 साल का बच्चा घर से पिता को खाना देकर घर लौटते समय मोहनपुर संप हाउस के राजेश पथ स्थित आउट फॉल के उफनते चैंबर में गिर गया. जिस समय बच्चा गिरा उस समय संप हाउस की मोटर चालू थी. इस वजह से पानी के तेज बहाव के साथ बच्चा नाला में बहता चला गया.
समाचार लिखे जाने तक बच्चा बरामद नहीं हो सका. यह घटना उस समय हुई, जब बच्चा नाले के किनारे बनी चौड़ी दीवार से गुजर रहा था. यह चौड़ी दीवार आम रास्ते के रूप में उपयोग में लायी जा रही है. इस घटना के करीब सवा घंटे बाद निगम की टीम दोपहर 2:45 बजे पहुंची. शुरुआत में बिना संसाधन के रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गयी. फिर ऑक्सीजन मॉस्क लगा कर निगम की टीम नाले के चैंबर में घुसी, लेकिन बच्चे का सुराग नहीं लग सका. निगम की टीम के बाद एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीम ने मोर्चा संभाला और नाले में घुस कर खोज शुरू की.
महिला की सूचना पर बंद किया गया संप हाउस : चैंबर में गिरे बच्चे के पीछे एक दूसरा बच्चा और एक महिला भी गुजर रही थी. चैंबर में पानी भरा था और पानी का बहाव काफी तेज था. बच्चा जैसे ही चैंबर में गिरा, वैसे ही महिला व बच्चा चिल्लाने लगे. आस-पास रहे लोग घटना स्थल पर पहुंचे, तब तक बच्चा पानी के साथ नाले में बह गया था. महिला ने संप हाउस कर्मी को सूचना दी और मोटर को बंद किया गया.
राजापुर पुल संप हाउस से जुड़ा है नाला : मोहनपुर संप से निकलने वाला पानी को राजापुर पुल संप हाउस से जोड़ा गया है. मोहनपुर संप हाउस चालू होते ही राजापुर पुल संप हाउस भी चालू होता है, ताकि पानी नाले में नहीं रुके. निगम की टीम के साथ-साथ एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम एक किलोमीटर के दायरे में ही बच्चे को खोज रही हैं.
शाम 4:45 बजे पहुंची एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीम, पहुंचते ही शुरू किया रेस्क्यू ऑपरेशन
एसके पुरी चिल्ड्रेन पार्क के समीप तक की बच्चे की खोज
दुर्घटना की सूचना मिलते ही घटना स्थल पर पहुंचे. निगम की टीम ने सबसे पहले आउट फॉल से समीप चैंबर को खोला और बच्चे की तलाशी शुरू की. लेकिन इस चैंबर में बच्चा फंसा नहीं मिला. इसके बाद एसके पुरी चिल्ड्रेन पार्क के समीप स्थित चैंबर तक पहुंची.
इसके बावजूद बच्चे का सुराग नहीं मिला. इसके बाद निगम की टीम आउट फॉल के समीप स्थित 10 फुट लंबी-चौड़ी चैंबर में ऑक्सीजन माॅस्क लगा कर घुसी और डेढ़ घंटे तक मशक्कत करती रही.
निगम व बीआरजेपी की लापरवाही से हादसा : पुनाईचक के मोहनपुर स्थित संप हाउस का आउट फॉल चैंबर राजेश पथ में बनाया गया है. यह चैंबर निर्माण के बाद से ही खुला है. इस चैंबर में पहले भी बच्चे व जानवर गिरने जैसे हादसे हो चुके हैं. इसके बावजूद निगम प्रशासन व बिहार राज्य जल पर्षद (बीआरजेपी) ने चैंबर पर ढक्कन चढ़ाने को लेकर योजना नहीं बनायी. स्थिति यह है कि शॉर्ट रास्ते के चक्कर में वहां से बड़ी संख्या में लोग आते-जाते हैं. लेकिन, निगम व बीआरजेपी प्रशासन लापरवाह है.
25 वर्षों से खुला है संप हाउस का चैंबर
मोहनपुर संप हाउस से नाले के माध्यम से पुनाईचक रेलवे गुमटी के समीप से आया है और राजेश पथ के समीप आउट फॉल चैंबर बना हुआ है. यह चैंबर 25 वर्षों से खुला है और बाउंड्री को लोगों ने रास्ता बना दिया है. शनिवार को इसी रास्ते से 10 वर्षीय दीपक घर लौट रहा था और बाउंड्री के बगल में गाय थी, जिसने बच्चे को मारने की कोशिश की,जिससे बच्चे का बैलेंस बिगड़ा और चैंबर में गिर गया.
आठ घंटे के लगातार अभियान के बाद भी सुराग नहीं
पटना : बच्चे का सुराग देर रात तक नहीं चल सका. दोपहर दो बजे से आठ घंटे तक सर्च अभियान चलता रहा. पहले तीन घंटे नगर निगम की टीम ने बच्चे की खोज की. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम को बुलाया गया. शाम पांच बजे से लगातार देर रात तक एनडीआरएफ की टीम संयुक्त रूप से अभियान चलाती रही. इस दौरान 25 लोगों की टीम ने मोर्चा संभाले रखा. आपदा मोचन बल के 12 गहने पानी में जाने वाले गोताखोर कई बार संप के आउट फॉल से लेकर नाले में दो सौ मीटर तक बच्चे को खोजते रहे, मगर सफलता हाथ नहीं मिली.
नाले में कई बार भीतर गये गोताखोर : एनडीआएफ की टीम घटना स्थल पर अपने पूरे इंतजाम के साथ पहुंची थी. चार सिलेंडर लेकर पहले दो गोताखोर संप से सौ मीटर दूरी एक मेनहोल तक दो बार अभियान चलाया. गोताखोर अंदर तक जाकर खोजते रहे. इसके बाद रात हो गयी. टीम ने अपनी रणनीति में बदलाव किया. बेहद तेज प्रकाश वाले लाइट को लाया गया. इसके बाद एक बार फिर गोताखोर मेनहोल से राजेश पथ वाले मेनहोल तक गये. बावजूद इसके बच्चे का कोई सुराग नहीं चल पाया.
निगम के पास नहीं था संप हाउस से नाले का नक्शा
घटना के बाद जब नगर निगम की टीम घटना स्थल पर पहुंची तो उसके पास कोई तैयारी नहीं थी. निगम की टीम के पास आपदा प्रबंधन मसलन आॅक्सीजन सिलेंडर नहीं था. इसके बाद संप हाउस से आगे नाला कहां और कैसे जाता है. इसका नक्शा भी नगर निगम टीम के पास नहीं था. निगम के फेल होने के बाद एसडीआरएफ की टीम पहुंची और लगभग एक घंटा के अभियान के बाद भी उसे सफलता नहीं मिली. इसके बाद करीब पांच बजे से एनडीआरएफी की टीम ने मोर्चा संभाल लिया था.
पटना. दुल्हिन बाजार थाना क्षेत्र के अलीपुर गांव के रहने वाले गुड्डू राम कुछ साल पहले ही बच्चों को पढ़ाने-लिखाने व रोजगार की तलाश में पटना आये थे, खुशहाल जिंदगी जी रहे इस परिवार में अब मातम पसरा है, क्योंकि उनका बेटा नाले के पानी में बह गया है. दुर्घटना का शिकार हुआ दीपक तीन बहनों का इकलौता भाई था. यह परिवार प्रोफेसर कॉलोनी के 23 नंबर कोठी में किराये के घर में रह रहा था. दीपक के चैंबर में गिरने की जैसे ही सूचना मिली, वैसे ही गुड्डू ठेला छोड़ रोते-बिलखते घटना स्थल पर पहुंचा. इसी दौरान दीपक की मां रामकली देवी भी पहुंची. दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ कर रोना शुरू कर दिया.
दूसरी क्लास में पढ़ता था दीपक
दीपक पुनाईचक मध्य विद्यालय का छात्र है और दूसरी कक्षा में पढ़ता है. स्कूल से आने के बाद पिता के काम में भी सहयोग करता था. शनिवार को एक बजे मां ने दीपक को खाना दिया और कहा पापा को पहुंचा दो. दीपक हाथ में टिफिन लेकर पड़ोस के बच्चे राहुल के साथ हंसते-खेलते 1:15 बजे पिता के पास पहुंचा और टिफिन दे दिया. इसके बाद दोनों बच्चे खेलते हुए घर लौटने लगे. दीपक जैसे ही चैंबर में गिरा राहुल घर पहुंचा और दीपक की मां को इसकी सूचना दी.
पटना : पहले के हादसों से नहीं चेता निगम प्रशासन
पटना : संप हाउस के आउटफॉल में गिर कर मरने का पहला मामला है, लेकिन उस से संबंधित नाले में जाने से मौत के मामले पहले भी हो चुके हैं. शहर में ही नाला साफ करने के दौरान दो मजदूरों की जान गयी थी. राजधानी में ही वर्ष 2016 के जून में शहर के इनकम टैक्स चौराहा पर वर्षों से बंद पड़े नाले की सफाई के लिए मैनहोल में उतरने वाले दो मजदूरों की जान चली गयी थी.
उस दौरान 19 वर्षीय मजदूर काली बच गया था. काम करने वाले जितेंद्र से पहले वो भी 20 फुट गहरे मैनहोल उतरा था. सफाई निरीक्षक के पास भी नाले के बारे में जानकारी नहीं थी. बगैर किसी सुरक्षा उपकरण के हमें नीचे उतरने के लिए कहा गया था. लगभग पांच फुट अंदर दो लोग गये और दोनों मर गये थे.
डूबने से बचे तो गैस से हो जाती है मौत
इस तरह के मामलों में मजदूरों की मृत्यु का कारण तीन प्रकार की गैस होती है. जहां भी जैविक पदार्थ सड़ता है या बहुत दिनों तक जमा रहता है, वहां मिथेन या हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी जहरीली गैस बनने लगती है.
दस से पंद्रह दिनों के भीतर अंदर बंद पड़े छोटे टैंक में इतना मिथेन गैस जमा हो जाता है कि कई लोगों की जान जा सकती है. वहीं बंद पड़े खाली मैनहोल या किसी बड़े अंडरग्राउड हॉल या कुआं में कार्बन डाइ आॅक्साइड जमा होता है. जो भारी गैस होने से लोगों की जान ले लेता है.
मिथेन गैस किसी भी व्यक्ति को पांच से दस मिनट के भीतर मौत के घाट उतार सकती है. वहीं, कार्बन-डाइ-आॅक्साइड से 15 मिनट से आधे घंटे के भीतर जान जा सकती है. इसके अलावा अधिक गहरे नाले में गिरने से पानी में डूबने के कारण भी मौत हो जाती है.
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