वर्साय (फ्रांस) : भारत में जब नयी सरकार बन रही होगी, उसी दौरान वजन का पैमाना किलोग्राम बदल जायेगा. वैज्ञानिकों ने किलोग्राम की परिभाषा बदल दी है. सर्वसम्मति से 50 से ज्यादा देशों ने किलोग्राम की नयी परिभाषा को मान्यता भी दे दी है. फ्रांस के वर्साइल्स में ‘वेट एंड मेजर्स’ पर आयोजित एक बड़े सम्मेलन में हुई वोटिंग के बादकिलोग्रामकीपरिभाषाको बदलने का फैसला हुआ.
सम्मेलन में शामिल ज्यादातर वैज्ञानिकों का कहना था कि किलोग्राम को यांत्रिक और विद्युत चुंबकीय ऊर्जा के आधार पर परिभाषित किया जाये.अभी इसे प्लेटिनम से बनी एक सील के वजन से परिभाषित किया जाता है. इस सील के वजन को ‘ली ग्रैंड के’ कहा जाता है. ऐसी एक सील वर्ष 1889 से पश्चिमी पेरिस में इंटरनेशनल ब्यूरोऑफ वेट्स एंड मेजर्स (बीआइपीएम) के वॉल्ट मेंरखाहै.
ब्रिटेन में नेशनल फिजिकल लैबोरेट्री की वैज्ञानिक पेर्डी विलियम्स कहती हैं कि उन्हें किलोग्राम का माप पसंद है. उन्होंने कहा कि हालांकि, वह लंबे अरसे से इस प्रोजेक्ट से नहीं जुड़ी हैं, लेकिन उन्हें वैज्ञानिकों की यह पहल अच्छी लगी. उन्हें लगता है कि नया तरीका बेहतर काम करेगा.
क्या है ‘ली ग्रैंड के’, क्यों बदल रहा है किलोग्राम
‘ली ग्रैंड के’ 90 प्रतिशत प्लेटिनम और10 प्रतिशत इरिडियम से लंदन में निर्मित 4 सेंटीमीटर का एक सिलिंडर है, जो पश्चिमी पेरिस के सीमांत सेवरे में बीआइपीएम के वॉल्ट में रखा गया है. किलोग्राम की परिभाषा में जो बदलाव किया गया है, उससे लोगों के दैनिक जीवन पर कोई असर नहीं होगा. लेकिन, उद्योग और विज्ञान में इसका व्यावहारिक प्रयोग होने की उम्मीद है, क्योंकि यहां सटीक माप की जरूरत होती है.
अंतरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली में किलो सात बेसिक यूनिट्स में से एक है. इनमें चार हैं: किलो, एंपियर (विद्युत प्रवाह), केल्विन (ताप) और मोल (पार्टिकल नंबर). किलोग्राम अंतिम एसआइ बेस यूनिट है, जो अभी तक एक फिजिकल ऑब्जेक्ट द्वारा परिभाषित है. चूंकि फिजिकल ऑब्जेक्ट आसानी से परमाणु को खो सकते हैं या हवा से अणुओं को अवशोषित कर सकते हैं, इसलिए इसकी मात्रा माइक्रोग्राम में दसियों बार बदली जा चुकी है.
किलोग्राम की जगह क्या
वैज्ञानिकों की योजना सफल रही, तो भविष्य में किलोग्राम को किब्बल या वाट बैलेंस का उपयोग करके मापा जायेगा. किब्बल या वाट बैलेंस एक ऐसा उपकरण होगा, जो यांत्रिक और विद्युत चुंबकीय ऊर्जा का उपयोग करके सटीक गणना करेगा. ऐसा होने के बाद फिर कभी किलोग्राम की परिभाषा बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
क्या होंगे फायदे
वैज्ञानिक कहते हैं कि नया किलोग्राम दुनिया में कहीं भी वैज्ञानिकों को एक किलो का सटीक माप उपलब्ध करवायेगा. ब्रिटेन के राष्ट्रीय मानक प्रयोगशाला के शोध निदेशक और ब्रिटेन में पैमाइश मानकों के उत्तरदायी थिओडोर जैनसेन कहते हैं, ‘वैज्ञानिक पैमाइश में एसआइ को पुन: परिभाषित करना एक यादगार क्षण है. एक बार लागू होने के बाद सभी एसआइ यूनिट फंडामेंटल कंस्टेंट की प्रकृति पर आधारित होंगी, जिसके मायने हमेशा के लिए तय हो जायेंगे और ये और भी अधिक सटीक पैमाइश कर पायेगा.’
इस अवसर पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने अपने शोध प्रस्तुत किये. इन शोध पत्रों में कहा गया कि करीब 130 साल में महज तीन बार बिग के को वॉल्ट से निकाला गया. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 1700 के अंत में मेट्रिक सिस्टम की शुरुआत हुई थी, जो बाद में यूनिट का इंटरनेशनल सिस्टम बन गया.
क्या-क्या होंगे बदलाव
-यह इलेक्ट्रॉन पंप के माध्यम से किया जायेगा, जो एक बार में प्रवाहित विद्युत से औसत करेंट उत्पन्न करता है और विद्युत की गणना करता है.
-केल्विन (तापमान यूनिट) को परिभाषित करने के लिए ध्वनि के लिए इस्तेमाल होने वाले थर्मामीटर का उपयोग किया जायेगा, जो एक निश्चित तापमान पर गैस से भरे क्षेत्र में ध्वनि की गति का माप लेता है.
-पदार्थ की मात्रा को मापने के लिए मोल, यूनिट का इस्तेमाल कर फिर से परिभाषित किया जायेगा, जो शुद्ध सिलिकॉन-28 में सही परमाणुओं की मात्रा निर्धारित करेगा.