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सरकार का एक सार्थक कदम
आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती 11 नवंबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ के रूप में मनायी जाती है और इसके संदर्भ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूलों में कई प्रकार के सेमिनार, संगोष्ठी, निबंध लेखन और कार्यशाला करने व रैली निकालने का निर्देश दिया है. यह […]
आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती 11 नवंबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ के रूप में मनायी जाती है और इसके संदर्भ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूलों में कई प्रकार के सेमिनार, संगोष्ठी, निबंध लेखन और कार्यशाला करने व रैली निकालने का निर्देश दिया है. यह एक बहुत ही सार्थक कदम है.
इससे नयी पीढ़ी मौलाना आजाद की विचारधारा को समझ सकेगी. वह स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, पत्रकार, समाज सुधारक, शिक्षा विशेषज्ञ के रूप में याद किये जाते हैं. उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया था. आज के नेताओं को भी उनसे सबक लेने की जरूरत है.
गुलाम गौस आसवी, धनबाद
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