देवोत्थान एकादशी को भगवान विष्णु जगते क्षीरसागर से
गोवर्धन पूजा समाप्त होते ही कोयलांचल में फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो गये हैं. कई स्थानों पर शादी-विवाह की बात शुरू हो गई है. वहीं कई स्थानों पर संबंधित परिवारों के बीच फलदान की रस्म भी शुरू हो गई है. देवशयनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य पर विराम लग गया था.
मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं होता है. गोवर्धन पूजा तथा देवोत्थान एकादशी के दिन से शुभ कार्य करना हितकारी होता है.
विवाह का शुभ मुहुर्त 19 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के बाद शुरू हो रहा है. मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह शयन के बाद जागते हैं. शादी तथा शुभ कार्यों में लगभग चार महीनों तक खामोशी के बाद अब एक बार फिर से शहनाई की गूंज सुनाई देगी.
स्थानीय शनि मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित तुलसी तिवारी ने कहा कि देवोत्थान एकादशी को भगवान शयन के बाद जगते हैं. इसके साथ ही लगन का शुभ काल शुरू हो जाता है. सूर्य वृश्चिक राशि में जैसे ही प्रवेश करेंगे, उसी के साथ शादी-विवाह का लग्न शुरू हो जायेगी.
उन्होंने कहा कि देवोत्थान एकादशी से शुरू होनेवाली लगन की धूम इस बार 12 तथा 13 दिसंबर तक रहेगी. इस वर्ष इस बार दो विवाह लग्न रहेंगी. जिनमें काफी शादियां होंगी. उन्होंने कहा कि 15 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में आने के साथ ही खरमास शुरू हो जायेगा. इसके साथ ही मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लग जायेगा. वर्ष 2019 के 12 जुलाई को देवशायनी एकादशी के बाद मांगलिक कार्य पर विराम लग जायेगा.
विवाह मुहूर्त
वर्ष 2018
12, 13 दिसंबर
वर्ष 2019
जनवरी – 17, 18, 19, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30, 31.
फरवरी – 1, 8, 9, 10, 13, 14, 15, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28.
मार्च – 2, 3, 7, 8, 9, 12, 13, 14.
अप्रैल – 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26.
मई – 1, 6, 7, 8, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 28, 29,30.
जून – 4, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 24, 25, 26, 27.
जुलाई – 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11.