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पटना : ‘मृत’ हुई कबीर अंत्येष्टि योजना, आवेदनों के ढेर, डेढ़ साल से खाते में नहीं आ रही है राशि

अनिकेत त्रिवेदी पिछली बार वर्ष 2017 की शुरुआत में बांटा गया था पैसा, इसके बाद नहीं मिली लोगों को राशि पटना : जिले में गरीब, बीपीएल व लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए बनी कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना कागज में दफन सी हो गयी है. यूं कहें तो यह योजना विभिन्न कारणों से खुद […]

अनिकेत त्रिवेदी
पिछली बार वर्ष 2017 की शुरुआत में बांटा गया था पैसा, इसके बाद नहीं मिली लोगों को राशि
पटना : जिले में गरीब, बीपीएल व लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए बनी कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना कागज में दफन सी हो गयी है. यूं कहें तो यह योजना विभिन्न कारणों से खुद ही दम तोड़ रही है.
हालात ऐसे हैं कि किसी नगर निकाय में डेढ़ वर्ष, तो कहीं कई महीनों से लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिला है. नगर निगम पार्षदों का आरोप है कि जिला स्तर से ही पैसा नहीं आ रहा है. वर्ष 2017 में शुरुआत के बाद अभी तक नया फंड नहीं आया है. प्रशासनिक अधिकारियों की मानें, तो जिन नगर निकायों से खर्च की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं आता, वहीं राशि देने में देरी होती है. मगर डेढ़ वर्ष से इस योजना में ग्रहण लगा हुआ है. पटना में दस हजार से अधिक आवेदन है, जिन्हें लाभ मिलना बाकी है.
यह है योजना
ऐसे मिलता था लाभ
योजना का लाभ केवल गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवारों को दी जाती है. बीपीएल परिवार के सदस्यों या परिजनों की मृत्यु के बाद राशि का लाभ प्रदान किया जाता है. इसके लिये अायु सीमा का कोई बंधन नहीं है. इसमें एक सादे कागज में आवेदन लिख कर ग्राम पंचायत कार्यालय या वार्ड कार्यालय को दिया जाना है. लाभार्थी को आवेदन फॉर्म ग्राम पंचायतों से नि:शुल्क दिया जाता है. आवेदन पत्र स्वीकृत किये जाने के बाद वार्ड कमिश्नर या मुखिया की ओर से राशि मुहैया करायी जाती है.
एटीएम कार्ड भी मिला, लेकिन नहीं आया पैसा
इसके लिए पंचायत, नगर-निगम व नगर-पर्षद के वार्डों के लिए सात मृतकों की एक मुश्त राशि खाते में रखने का प्रावधान है. उनके क्षेत्र के बीपीएल परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु होने पर तीन हजार की राशि उपलब्ध करायी जायेगी. पहले राशि मुखिया, वार्ड पार्षद और सफाई निरीक्षण व अन्य कर्मियों के संयुक्त खाते में आती थी. लेकिन, अब यह योजना में राशि देने का प्रावधान बदल गया है. इसमें अब शहरी क्षेत्र में सीधे सफाई निरीक्षण व ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी कर्मचारी के खाते में पैसा जिला स्तर के समाज कल्याण विभाग से भेजा जाता है. फिलहाल हालात यह हैं कि बीते एक वर्ष से कर्मियों का खाता खुल चुका है. एटीएम भी मुहैया करा दी गयी है. लेकिन, अभी तक पैसा नहीं आया है.
पांच लाख हैं बीपीएल परिवार
जिले में लगभग पांच लाख के करीब बीपीएल की संख्या है. वार्ड 13 के वार्ड पार्षद जीत कुमार की मानें, तो बीपीएल सूची अपडेट नहीं होने और सूची से कई लोगों के नाम कट जाने के कारण भी योजना में परेशानी हो रही है. वहीं, उप महापौर विनय कुमार पप्पू के अनुसार सरकार जिले स्तर से पैसा खाते में भेज ही नहीं रही है. निगम स्तर से कई बार आवेदन करने के बाद मामला फंसा हुआ है.

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