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मध्यप्रदेश के हिंगोट युद्ध में ‘देसी रॉकेटों’ की बौछार, Video

इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में दीपोत्सव की धार्मिक परंपरा से जुड़े हिंगोट युद्ध में बृहस्पतिवार रात 29 लोग घायल हो गये. इस बार यह रिवायती जंग 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लागू आदर्श आचार संहिता के साये में लड़ी गयी. देपालपुर की अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अदिति गर्ग ने शुक्रवार […]

इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में दीपोत्सव की धार्मिक परंपरा से जुड़े हिंगोट युद्ध में बृहस्पतिवार रात 29 लोग घायल हो गये. इस बार यह रिवायती जंग 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लागू आदर्श आचार संहिता के साये में लड़ी गयी.

देपालपुर की अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अदिति गर्ग ने शुक्रवार को बताया कि इंदौर से करीब 55 किलोमीटर दूर गौतमपुरा कस्बे में हिंगोट युद्ध के दौरान 29 लोग मामूली रूप से घायल हुए. मौके पर मौजूद चिकित्सकों के दल ने प्राथमिक उपचार के बाद इन्हें घर जाने की इजाजत दे दी.

उन्होंने बताया कि हिंगोट युद्ध के दौरान पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने जरूरी इंतजाम किये थे. हिंगोट आंवले के आकार वाला एक जंगली फल है. गूदा निकालकर इस फल को खोखला कर लिया जाता है. फिर हिंगोट को सुखाकर इसमें खास तरीके से बारूद भरी जाती है. नतीजतन आग लगाते ही यह रॉकेट जैसे पटाखे की तरह बेहद तेज गति से छूटता है और लम्बी दूरी तय करता है.

गौतमपुरा कस्बे में दीपावली के अगले दिन यानी विक्रम संवत की कार्तिक शुक्ल प्रथमा को हिंगोट युद्ध की धार्मिक परंपरा निभायी जाती है. गौतमपुरा के योद्धाओं के दल को ‘तुर्रा’ नाम दिया जाता है, जबकि रुणजी गांव के लड़ाके ‘कलंगी’ दल की अगुवाई करते हैं. दोनों दलों के योद्धा रिवायती जंग के दौरान एक-दूसरे पर हिंगोट दागते हैं.

माना जाता है कि प्रशासन हिंगोट युद्ध पर इसलिए पाबंदी नहीं लगा पा रहा है, क्योंकि इससे क्षेत्रीय लोगों की धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं. इस बार क्षेत्रीय लोगों ने घोषणा की थी कि अगर हिंगोट युद्ध को अनुमति नहीं दी गयी, तो वे आसन्न विधानसभा चुनावों में मतदान का बहिष्कार करेंगे.

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