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जब इस वजह से आपस में भिड़ गये थे सचिन तेंदुलकर और शेन वॉर्न

नयी दिल्ली : सचिन तेंदुलकर और शेन वार्न के बीच मैदान पर कड़ी टक्कर रहती थी तो वहीं मैदान के बाहर दोनों का एक दूसरे के लिए सम्मान किसी से छुपा नहीं है, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज के मुताबिक 2015-16 में अमेरिका में हुए प्रदर्शनी मैचों को लेकर दोनों के बीच मतभेद हो गया था. वार्न […]

नयी दिल्ली : सचिन तेंदुलकर और शेन वार्न के बीच मैदान पर कड़ी टक्कर रहती थी तो वहीं मैदान के बाहर दोनों का एक दूसरे के लिए सम्मान किसी से छुपा नहीं है, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज के मुताबिक 2015-16 में अमेरिका में हुए प्रदर्शनी मैचों को लेकर दोनों के बीच मतभेद हो गया था.

वार्न ने अपनी आत्मकथा ‘ नो स्पिन’ में इस वाकये का जिक्र करते हुए लिखा है कि उनके और तेंदुलकर की परिकल्पना से एक सालाना टूर्नामेंट शुरू किया गया लेकिन उसके प्रबंधन को लेकर दोनों के बीच मतभेद के कारण पहले सत्र के बाद इसका आयोजन नहीं हो सका.

इस मुद्दे पर जब तेंदुलकर से संपर्क किया तो उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. वार्न ने लीजेंड्स प्रदर्शनी मैचों का जिक्र किया है जिसका आयोजन 2015 में न्यूयॉर्क, ह्यूस्टॉन और लॉस एंजिलिस में हुआ था जिसमें ब्रायन लारा, ग्लेन मैक्ग्रा और सौरव गांगुली जैसे दिग्गजों ने खेला था.

उन्होंने अपनी किताब में साफ किया कि तेंदुलकर ने इस टूर्नामेंट के पूरी खर्च की जिम्मेदारी उठायी लेकिन वह उन लोगों से प्रभावित नहीं थे जिन्हें तेंदुलकर ने प्रबंधन के लिए चुना था. वार्न ने लिखा, तेंदुलकर संजय नाम के एक व्यक्ति को लेकर आये थे जो मेंटोर और व्यवसायिक सलाहकार थे. मैंने उन्हें अपनी परिकल्पना बतायी और स्लाइड शो दिखाया.

उन्हें यह काफी पसंद आया. इसके बाद उन्होंने अमेरिका के बेन स्टर्नर को अपने साथ जोड़ा. तेंदुलकर इस बात पर अड़े थे कि सभी चीजों का संचालन उनकी टीम करे. स्टर्नर एक खेल कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी है जबकि संजय की पहचान के जाहिर नहीं हो पायी. उन्होंने आगे लिखा, मैंने कहा, यह मेरी परिकल्पना है. मुझे पता है कि मैं इससे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को जोड़ सकता हूं और मैं आप से बराबर की हिस्सेदारी करने को तैयार हूं.

मैंने सुझाव दिया किया इसके आयोजन के साथ अनुभवी लोगों को जोड़ा जाए और हम दोनों (तेंदुलकर और वार्न) के दो-दो प्रतिनिधि इसमें रहें. वार्न के मुताबिक, तेंदुलकर ने कहा, ‘ नहीं मेरे पास संजय और बेन है.’ मैं उनके जवाब से असहज था लेकिन इस बात को लेकर आश्वस्त भी था कि मैं और तेंदुलकर मिल कर इसका आयोजन कर सकते है, इसलिए मैं तैयार हो गया.

वार्न ने लिखा, मैं तेंदुलकर को 25 साल से जानता हूं और उन्होंने मैदान के बाहर भी शानदार काम किया है, इसलिये मुझे लगा कि उनका व्यवसायिक पक्ष ठीक तरह संगठित होगा. हालांकि बाद में मुझे इसका पछतावा हुआ.

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