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पटना : पुलिस लाइन में हंगामा मामले को दर्ज केसों में माना गया दंगा, गिरफ्तारी के डर से ट्रेनी कांस्टेबल फरार

पटना : पुलिस लाइन के अंदर व बाहर उत्पात मचाने के मामले को दंगा माना गया है. बुद्धा कॉलोनी थाने में दर्ज चारों प्राथमिकी में इस घटना की प्रवृत्ति को दंगा की श्रेणी में अंकित किया गया है. इधर, प्राथमिकी में नाम दर्ज किये जाने की आशंका को लेकर गिरफ्तारी के डर से काफी संख्या […]

पटना : पुलिस लाइन के अंदर व बाहर उत्पात मचाने के मामले को दंगा माना गया है. बुद्धा कॉलोनी थाने में दर्ज चारों प्राथमिकी में इस घटना की प्रवृत्ति को दंगा की श्रेणी में अंकित किया गया है.
इधर, प्राथमिकी में नाम दर्ज किये जाने की आशंका को लेकर गिरफ्तारी के डर से काफी संख्या में ट्रेनी कांस्टेबल पुलिस लाइन से फरार हो गये. वहीं, इस मामले के आरोपितों की बर्खास्तगी के बाद सोमवार को सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी. पुलिस लाइन के दो मुख्य गेटों के साथ ही शिवमंदिर की ओर से आने वाले गेट पर जवानों की तैनाती कर दी गयी है. इसके साथ ही गेट पर शक होने पर पूछताछ की जा रही है.
सुरक्षा में तैनात जवानों को निर्देश दिया गया है कि किसी भी संदिग्ध को अंदर प्रवेश नहीं करने दिया जाये, क्योंकि यह संभावना बनी हुई थी कि बर्खास्तगी की खबर मिलते ही पुलिस लाइन में हंगामा हो जायेगा. पुलिस ने फिलहाल अभी सावधानी बरती है और बर्खास्त लोगों के नामों का फिलहाल खुलासा नहीं किया है .
चारों प्राथमिकी में एक ही बात का जिक्र
बुद्धा कॉलोनी थाने में दर्ज चारों प्राथमिकी में घटना की प्रवृत्ति दंगा अंकित की गयी है. लाइन डीएसपी मो मसेलउद्दीन के बयान पर दर्ज प्राथमिकी 147/148/149/342/323/324/307/326/332/333/337/338/353/427/449/450/451/452 3/4 डैमेज पब्लिक प्राेपर्टी एक्ट की आईपीसी की धारा के तहत दर्ज की गयी है. मो मसेलउद्दीन ने अपने बयान में जानकारी है कि वे अपने कार्यालय में थे इसी दौरान उन पर जानलेवा हमला हुआ. उनका सिर फट गया और फिर उनके घर में घुस कर मारपीट की गयी और सामान को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. इसके अलावा पुलिस लाइन में कार्यालय में तोड़-फोड़ किये गये. दूसरी प्राथमिकी बुद्धा कॉलोनी थानाध्यक्ष मनोज मोहन के बयान के आधार पर आइपीसी की धारा 147/148/149/188/341/323/325/332/333/337/338/353/427/449/450/451/452/461/ 3/4 डैमेज पब्लिक प्राेपर्टी एक्ट के तहत दर्ज की गयी है.
मनोज मोहन ने भी अपने बयान में इस बात का जिक्र किया है कि कांस्टेबल ने पुलिस लाइन से लेकर बाहर तक उपद्रव मचाया था और जमकर तोड़-फोड़ की थी. साथ ही पुलिस लाइन में रखी गाड़ियां, कार्यालय में रखे सामान को क्षतिग्रस्त कर दिया था. उन्हें रोकने गयी पुलिस के साथ भी मारपीट की थी. इन दोनों की प्राथमिकी में 175 नामजद आरोपित बनाये गये हैं.
तीसरी प्राथमिकी पीरबहोर थानाध्यक्ष गुलाम सरवर के बयान के आधार पर आइपीसी की धारा 147/148/149/341/323/307/353/504/ 506 के तहत दर्ज की गयी है. इसमें कांस्टेबल धीरज कुमार, मनोज कुमार, राजेश कुमार महतो, मनीष कुमार व 50 अज्ञात नामजद आरोपित बनाये गये हैं. गुलाम सरवर ने बयान में बताया है कि इन कांस्टेबल ने उन्हें घेर लिया और फिर मारपीट की थी. इसमें उनके सिर में चोट आयी है. राहगीर सुनील कुमार के बयान पर दर्ज प्राथमिकी में आइपीसी की धारा 147/148/149/341/427/504 लगायी गयी है.
वारंट लेगी तब करेगी गिरफ्तार: पुलिस लाइन में हंगामा करने के मामले में आरोपित 175 कांस्टेबल की गिरफ्तारी के लिए पुलिस न्यायालय से वारंट लेगी. इसके बाद गिरफ्तारी की प्रक्रिया की जायेगी. इन आरोपितों में 73 महिला ट्रेनी कांस्टेबल शामिल हैं. दूसरी ओर पटना पुलिस लाइन में . क्षतिग्रस्त वाहनों को बनने के लिए दे दिया गया है और कार्यालय को ठीक-ठाक कर लिया गया है. इसके साथ ही वहां पुलिस पदाधिकारियों व कर्मचारियों ने काम शुरू कर दिया है.
जांच में और कांस्टेबलों का जुड़ सकता है नाम : पुलिस लाइन व उसके आसपास लगे सीसीटीवी कैमरा का वीडियो फुटेज खंगालने के बाद पुलिस को 175 कांस्टेबल के शामिल होने की जानकारी थी. उन सभी का नाम प्राथमिकी में दर्ज कर लिया गया था. अभी सीसीटीवी कैमरे का फुटेज खंगालने का काम जारी है. कई और कांस्टेबल की पहचान कर ली गयी है. चारों ही प्राथमिकी में अज्ञात के खिलाफ भी मामला दर्ज है.

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