जगरनाथ, गुमला
ईसाई मिशनरी आज पूरे झारखंड राज्य में कब्र पूजा मना रहा है. मृत आत्माओं के लिए विशेष प्रार्थनाएंहो रही हैं. गुमला धर्मप्रांत के सभी 38 पल्लियों में स्थित करीब 700 कब्र में पूजा-अर्चना हो रही है. कब्रों को फूल-माला व मोमबत्ती से सजाया गया है.
कब्र पूजा पर गुमला धर्मप्रांत के विकर जनरल फादर सिप्रीयन कुल्लू ने बताया कि जीवन व मरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. ख्रीस्त विश्वास की मान्यता के अनुसार, जो मनुष्य मरता है, उसका दोबारा जन्म होता है. मरना जीवन का अंत नहीं, बल्कि शुरुआत है.
उन्होंने कहा कि मनुष्य का संबंध मृत आत्माओं से है, क्योंकि जो मरे हैं, वे हमारे अपने हैं. आज हम मृत आत्माओं के लिए प्रार्थना करें. अपने जीवन काल में पूर्वजों ने जो पाप व बुराई किये और ईश्वर से माफी नहीं मांगी, हम उनके लिए माफी मांगें. साथ ही अपने अंदर की छुपी बुराई व शैतान को मारें.
गुमला धर्मप्रांत में 38 पल्ली हैं. इसके अंतर्गत 350 छोटे-छोटे चर्च हैं. इन चर्चों में करीब 700 कब्र हैं.इनकब्रिस्तानों में हर साल दो नवंबर को कब्र पूजा होती है. इसमें मृत आत्माओं के लिए विशेष प्रार्थना की जाती है.
धर्मप्रांत के अंतर्गत गुमला, सोसो, टुकूटोली, रामपुर, दलमदी, तुरबुंगा, अघरमा, कोनबीर नवाटोली, केमताटोली, ममरला, केउंदटोली, छत्तापहाड़, रोशनपुर, लौवाकेरा, सुंदरपुर, देवगांव, करौंदाबेड़ा, मांझाटोली, जोकारी, मुरुमकेला, टोंगो, बारडीह, चैनपुर, मालम नवाटोली, नवाडीह, कटकाही, केडेंग, परसा, भिखमपुर, रजावल, कपोडीह, डुमरपाट, डोकापाट, बनारी, विमरला व नवडीहा चर्च हैं.
कब्र पर्व मनाने की वजह
जो मर गये हैं, वे पहले मनुष्य थे. उनमें जीवन था. उन्होंने अपने जीवन काल में पाप किये, लेकिन ईश्वर से क्षमा नहीं मांगी. इसलिए उनकी संतानअपने पूर्वजों के लिए ईश्वर से माफी मांगते हैं.
कब्र पर्व की मान्यता
ईसाइयों में मान्यता है कि मृत्यु के बाद जीवन का अंत नहीं है. मरने के बाद पुनर्जन्म होता है. यह मान्यता सृष्टि के निर्माण के समय से चली आ रही है, जो अनंत तक चलती रहेगी. कब्र पूजा से पुरखों से रिश्ता बना रहता है.
कब्र पर्व पर विश्वास
कब्र पवित्र स्थल होता है. मरने के बाद कोई भेदभाव नहीं रहता. जो मर गये, वे कब्र में शांत मुद्रा में रहते हैं. जब तक मनुष्य जिंदा है, वह बुरे और अच्छे, दोनों कर्म करता है. अगर ईश्वर से प्रार्थना करें, तो हमारे पाप दूर हो जाते हैं.