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स्वराज स्वाभिमान यात्रा के तहत सुदेश महतो पहुंचे ईचागढ़ के शहीद अजीत महतो के गांव कुरली

कहा- 5000 गांवों का दौरा कर पंचों के फैसले के आधार पर करूंगा नेतृत्व शचीन्द्र दाश/प्रताप मिश्रा/हिमांशु गोप की रिपोर्ट सरायकेला/चांडिल : आजसू सुप्रीमो सह पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो ने अपने स्वराज स्वाभिमान यात्रा के दूसरे चरण में बुधवार को जिला के चांडिल अनुमंडल के विभिन्न गांवों में पदयात्रा कर चौपाल लगायी. इस दौरान […]

कहा- 5000 गांवों का दौरा कर पंचों के फैसले के आधार पर करूंगा नेतृत्व

शचीन्द्र दाश/प्रताप मिश्रा/हिमांशु गोप की रिपोर्ट

सरायकेला/चांडिल : आजसू सुप्रीमो सह पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो ने अपने स्वराज स्वाभिमान यात्रा के दूसरे चरण में बुधवार को जिला के चांडिल अनुमंडल के विभिन्न गांवों में पदयात्रा कर चौपाल लगायी. इस दौरान वे शहीद अजीत महतो के गांव कुरली जहां पर चौपाल लगाकर लोगों के समस्याओं से रू-ब-रू हुए, दौरे के क्रम में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि अस्सी नब्बे के दशक बाद से ही एकतरफा विचार का प्रभाव बढ़ा है वहीं विगत बीस तीस वर्षो में राजनेताओं व गांव के बीच संवाद घटा है जिसके कारण विकास योजनाओं का मुल्यांकन नहीं हुआ है.

उन्‍होंने कहा कि गांव में किस रूप में योजना पहुंच रहा है इसका आकलन नहीं हुआ है. श्री महतो ने स्वराज स्वाभियान यात्रा का उद्देश्य बताते हुए कहा कि झारखंड के लोगों को राज्य मिल गया, परंतु स्वराज नहीं मिला. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चिंतन व दर्शन का केंद्र गांव ही रहा है. अगर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को चलाने का विचार रखते हैं तो गांव सत्ता का केंद्र बनना चाहिए. भगवान बिरसा मुंडा ने भी आबुआ दिशुम, आबुआ राज की परिकल्पना की थी.

उन्‍होंने कहा कि स्वराज स्वाभियान यात्रा के तहत इसका आंकलन करने निकले हैं कि स्वराज के मुकाम पर हम और हमारा झारखंड राज्य कहां खड़ा है. पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि स्वराज स्वाभिमान यात्रा में वोट की राजनीति करने के लिए लिए नहीं निकाला गया है. राजनीति को घर में छोड़कर आया हूं और गांव की समस्याओं को देखने आया हूं कि आखिर हमारा गांव आजादी के 70 वर्ष व अलग झारखंड राज्य के 17 वर्ष पश्चात भी विकास के पायदान पर कहां है.

उन्‍होंने कहा कि सत्ता का केंद्र राजधानी नहीं बल्की गांव को बनाना चाहिए. गांव जिस दिन सत्ता का केंद्र बनेगा समानता व समता मुलक समाज का एक बेहतर नींव देश में स्थापित हो पायेगा. स्वराज स्वाभीमान यात्रा झारखंडियों के स्वाभिमान के लिए निकाले जाने की बात कहते हुए पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि गांव में बुनियादी समस्याएं जस की तस है. गांव की बेहतरी के लिए जो निर्णय गांव के चौपाल में होना चाहिए था, वह राजधानी व जिला मुख्यालय में हो रहा है जो राज्य के लिए काफी दुर्भाग्य की बात है.

वर्षों बाद हुए पंचायत चुनाव में नहीं मिला पंचायत प्रतिनिधियों को पूर्ण अधिकार

पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि पंचायत सचिवालय की परिकल्पना मेरे द्वारा ही किया गया था. 1970 के बाद पंचायत चुनाव करा सत्ता का विकेंद्रीकरण कर पंचायत में सचिवालय की स्थापना किया गया था. परंतु पंचायत प्रतिनिधियों को अब तक पूर्ण अधिकार नहीं मिला है. गांव के लोग अगर अपने द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधि से पेंशन या आवास की समस्या लेकर जाते हैं उन्हें यह अधिकार नहीं है कि वे उसका लाभ दिला दें.

उन्‍होंने कहा कि जब चुनाव आता है गरीब यह सोच कर सुबह ही मतदान केंद्र में जा कर कतारबद्ध हो. अपना मतदान करता है कि जिससे व वोट दिया है वह उसके पेंशन व आवास की समस्या का समाधान करेगा. लेकिन वही जनप्रतिनिधि को यह अधिकार नहीं है कि वह एक पेंशन या आवास दिला सके. सरकारी पदाधिकारी विकास का मालिक बन बैठा है और लोगों तक विकास योजनाएं नहीं पहुंच पा रहा है.

डोभा में मछली से ज्यादा बच्चों का मिले शव

गांव के विकास के लिए चार वर्ष में पांच बार योजना बनाओ अभियान चलाया गया है इस दौरान गांव में ग्राम सभा कर कई योजनाएं पारित किये गये. लेकिन अधिकांश योजना क्रियान्वित नहीं हुआ उपर से डोभा योजना थोप दिया गया. एसी में बैठ कर पदाधिकारी डोभा को कल्याणकारी योजना बताते हुए कहते हैं कि डोभा से जल स्तर बढ़ेगा और इसमें मछली पालन कर लोगों को रोजगार मिलेगा परंतु डोभा में जितना मछली नहीं मिला उससे अधिक बच्चों के शव जरूर मिला है.

गांव नहीं पहुंच पाती है विकास योजनाएं, सुविधाओं से वंचित हैं ग्रामीण

पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि 1952 से लेकर आज तक देश एवं राज्य में कई बार लोक सभा एवं विधानसभा चुनाव हुआ एवं सरकार बनी व योजनाएं भी बनायी गयी. लेकिन विकास योजनाएं गांव आते-आते दम तोड़ देती है. गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से ही वंचित है. इसलिए गांवों में चौपाल की जरुरत है. इसलिए आज गांव गांव में मेरे द्वारा चौपाल लगाया जा रहा है और गांवों में वास्तविकता का मूल्यांकन किया जा रहा है. स्वराज स्वाभीमान यात्रा के तहत राज्य के 32 हजार गांव में पांच हजार गांवों में चलाया जायेगा और पंचों के साथ बैठक कर उसका नेतृत्व किया जायेगा.

चौपाल में रखी पेयजल, सड़क और बिजली की समस्या

शहीद अजीत महतो के गांव कुरली गांव में स्वराज स्वाभीमान यात्रा के क्रम में ग्रामीणों ने पेयजल, सड़क, बिजली आदि समस्याओं से अवगत कराया. ग्रामीणों ने कहा कि गांव में पेयजल के लिए लगाये गये जलमीनार से पानी नहीं है. जबकि कलांदी टोला में पानी की घोर किल्लत है. जिस पर पूर्व डिप्टी सीएम ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से बात कर तुरंत मामले की जांच करते हुए समाधान करने का निर्देश दिया. पेंशन के लिए गांव के ही पांच युवाओं को सभी लाभुकों से आवेदन प्राप्त कर मुखिया के सहयोग से पेंशन का लाभ दिलाने व महिला स्‍वयं सहायता समूह स्वरोजगार के लिए अपने स्तर से सहयोग करने की बात कही.

चांडिल में इन गांवों से गुजरी स्वराज स्वाभिमान यात्रा

आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो ने चांडिल स्थित चौका मोड़ स्थित शहीद अजीत धनंजय महतो के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया इसके पश्चात शहीद अजीत महतो के गांव आदर्श गांव कुरली व खूंटी गांव में पद यात्रा करते हुए चौपाल लगायी. चौपाल के पश्चात पूर्व डिप्टी सीएम ने पालगम, बंसा, धातकीडीह, सहित अन्य गांवों का दौरा कर हाडुडीह गांव में आयोजित रात्री चौपाल में भाग लिया व जनसमस्याओं से रू-ब-रू हुए.

इस अवसर पर देवशरण भगत, जिप उपाध्यक्ष अशोक साव, अनिता पारीत, सत्यनारायण महतो, खगेन महतो, जगदीश महतो, सुखराम टुडू, परीक्षित महतो, समेत अनेक लोग उपस्थित थे.

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