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सरदार पटेल के हृदय से निहारिये मध्यप्रदेश

नयी दिल्ली : भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का प्रधानमंत्री ने अनावरण कर दिया है. यहां आने वाले लोग महज 350 रुपये देकर सरदार पटेल के हृदय से मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र के मिलन बिंदु को निहार सकेंगे. गुरुवार (एक नवंबर, 2018) […]

नयी दिल्ली : भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का प्रधानमंत्री ने अनावरण कर दिया है. यहां आने वाले लोग महज 350 रुपये देकर सरदार पटेल के हृदय से मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र के मिलन बिंदु को निहार सकेंगे. गुरुवार (एक नवंबर, 2018) से ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को आम लोगों के लिए खोल दिया जायेगा. इसे अमेरिका के ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ की तरह बहुत बड़ा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा और विदेशी पर्यटकों को यहां आने के लिए आकर्षित किया जायेगा.

वयस्क व्यक्ति के लिए प्रवेश शुल्क 120 रुपये रख गया है, जबकि बच्चों के लिए यह 60 रुपये होगी. यहां आने वाले लोग 350 रुपये देकर सीधे सरदार पटेल के सीने में पहुंच पायेंगे. 153 मीटर की ऊंचाई पर सरदार पटेल के सीने में खिड़कियां बनी हैं, जहां से सरदार सरोवर बांध, फूलों की घाटी, विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वतमाला के नजारे तथा मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के मिलन बिंदु भी देख सकेंगे. इतना ही नहीं, मेमोरियल, म्यूजियम, आॅडियो-विजुअल गैलरी विजिट करने के साथ साइट और बांध विजिट भी कर पायेंगे.

कहा जा रहा है कि भारतीय राजनीति के लौहपुरुष सरदार पटेल की यह प्रतिमा उतनी ही ऊंची है, जितना ऊंचा उनका कद था. उनकी प्रतिमा को ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ नाम दिया गया है, क्योंकि सरदार पटेलने देश की 565 रियासतों को एकता के सूत्र में पिरोकर अखंड भारत का निर्माण किया था. इस विशालकाय प्रतिमा का निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात के राजपिपला के पास नर्मदा नदी के द्वीप ‘साधु बेत’ पर कराया गया है.

185 परिवार हुए विस्थापित

सरदार पटेल की इस प्रतिमा के निर्माण के लिए 185 परिवारों को विस्थापित होना पड़ा. गुजरात सरकार का दावा है कि इन परिवारों को सरकार ने दूरी जगह 1200 एकड़ जमीन दी.

अनावरण समारोह का बहिष्कार

स्थानीय आदिवासी नेताओं ने सरदार पटेल के अनावरण समारोह का बहिष्कार किया है. उनका कहना है कि इस विशालकाय प्रतिमा के निर्माण से प्राकृतिक संसाधनों को काफी नुकसान पहुंचा है.

इसलिए चीन में कराया गया निर्माण

दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के निर्माण का आधार कॉन्क्रीट से बना है, लेकिन सरदार की प्रतिमा स्थापित करने के लिए 553 ब्रोंज पैनल बने हैं. हर पैनल में 10-15 माइक्रो पैनल हैं. ये पैनल चीन की फाउंड्री में बने और उसके बाद वहां से इसका आयात किया गया. बताया गया है कि भारत में इतने बड़े पैनल के निर्माण की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, इसलिए अंतरराष्ट्रीय निविदा के जरिये चीनी कंपनी का चयन किया गया.

15,000 लोग हर दिन आयेंगे

अधिकारियों का कहना है कि एक बार स्टैच्यू ऑफ यूनिटी आम लोगों के लिए खोल दिया जायेगा, तो हर दिन यहां 15,000 लोग आयेंगे. लोग यहां स्थित म्यूजियम में देश के प्रथम गृह मंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल से जुड़े 40,000 दस्तावेज, 2,000 फोटोग्राफ्स और उनके जीवन पर आधारित एक रिसर्च सेंटर का लोग अवलोकन कर सकेंगे.

250 इंजीनियरों और 3400 मजदूरों की मेहतन

नर्मदा नदी पर बनी सरदार सरोवर बांध से लगभग 3.2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर यानी 597 फीट है. प्रतिमा की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 235 है. 3400 मजदूरों और 250 इंजीनियरोंके अथक प्रयास सेइसप्रतिमा का निर्माण संभव हुआ.

19700 वर्ग किलोमीटर में फैली है परियोजना

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में प्रवेश करते ही लॉबी में एक म्यूजियम और ऑडियो-विजुअल गैलरी है. इसमें सरदार पटेल के जीवन और गुजरात के ट्राइबल कल्चर पर 15 मिनट का प्रेजेंटेशन लोग देख सकेंगे. करीब 17 किलोमीटर लंबी फूलों की घाटी है. स्टैच्यू से भी इस घाटी को देखा जा सकेगा.

विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमाओं से बहुत बड़ी है सरदार की प्रतिमा

153 मीटर ऊंची चीन की स्प्रिंग बुद्ध मूर्ति

93 मीटर ऊंची न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी

सरदार की प्रतिमा : एक नजर में

80 फीट पैरों की लंबाई

70 फीट लंबे हैं सरदार के हाथ

140 फीट है कंधों की चौड़ाई

07 मंजिली इमारत के बराबर है पटेल का चेहरा

60 मंजिली इमारत जितनी ऊंची है प्रतिमा

08 फीट का है सरदार के कोटके बटन का व्यास

06 फीट के इंसान के कद से भी बड़े हैं मूर्ति के होंठ

182 मीटर यानी 597 फीट है प्रतिमा की ऊंचाई

1.69 लाख गांवों के किसानों के लोहे के औजारों और मिट्टी का हुआ है प्रतिमा के निर्माण में इस्तेमाल

भौगोलिक स्थिति

3.2 किमी दूर है सरदार सरोवर बांध से

235 मीटर है समुद्र-तल से इसकी ऊंचाई

70,000 टन सीमेंट का हुआ इस्तेमाल

22,500 टन तांबालगा है प्रतिमा में

550 पैनल में लगी हैं पीतल की प्लेटें

3400 मजदूरों ने किया काम

250 इंजीनियरों ने संभाला था मोर्चा

216 किमी/घंटे रफ्तार की हवा, तीव्र कंपन व भूकंप में भी खड़ी रहेगी प्रतिमा

200 लोगएकसाथ व्यूइंग गैलरी में आ सकेंगे

153 मीटर की ऊंचाई पर व्यूइंग गैलरी

अनुमान से कम लागत में तैयार हुई प्रतिमा

3001 करोड़ रुपयेखर्चकाअनुमानथा प्रतिमा के निर्माण पर

2989 करोड़ रुपये में ही एलएंडटी ने बना दी सरदार पटेल की प्रतिमा

42 महीने में बनकर तैयार हुई लौह पुरुष की विशालकाय प्रतिमा

04 महीने का अतिरिक्त समय लगा तकनीकी कारणों से

परिकल्पना से निर्माण में लगे 5 साल

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्मारक की आधारशिला 31 अक्तूबर, 2013 को पटेल की 138वीं वर्षगांठ पर रखी थी. प्रतिमा बनाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट बनाया गया. प्रतिमा के निर्माण के लिए किसानों से उनके इस्तेमाल हो चुके लोहे के औजारों से तीन महीने में लगभग 5,000 मीट्रिक टन लोहा इकट्ठा किया गया. और पांच साल बाद 31 अक्तूबर, 2018 को प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने इसका अनावरण किया.

अमेरिका से लेकर चीन तक के शिल्पकारों की मेहनत

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को आकार देने के लिए अमेरिका से लेकर चीन तक के शिल्पकारों ने मशक्कत की. मूर्ति के शुरुआती मॉडल और चीन में इसके निर्माण के दौरान पूरी देख-रेख का जिम्मा भारत के सुप्रसिद्ध शिल्पकार नोएडा के पद्म भूषण राम सुतार (93) के जिम्मे रहा. खास बात यह कि मूर्ति के निर्माण में सहयोग देने के लिए राम सुतार का नाम अमेरिकी आर्किटेक्ट ने सुझाया था. राम सुतार को काम मिलने के बाद उन्होंने सबसे पहले तीन फुट का मॉडल बनाया. इसके बाद 18 फीट का मॉडल बनाया गया. 18 फीट के मॉडल को पीएम मोदी ने भी देखा था. उन्होंने कई महापुरुषों की भी विशाल मूर्तियां बनायीं हैं.

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