जनसंख्या और बेरोजगारी का फूलता गुब्बारा ही देश की सबसे बड़ी समस्या है जो अनेकों समस्याओं की जड़ है. ताज्जुब की बात है कि कोई भी पार्टी इस पर कुछ नहीं करना चाहती. इसलिए इसके निरंतर फूलने से हालात एकदम बेकाबू हो गये हैं और देश अराजकता की चपेट में आ रहा है.
रोजगार और अन्य सुविधाओं से सीधे जोड़कर इसे आसानी से काबू किया जा सकता है. एक समय था जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रहित में बैंको का राष्ट्रीयकरण किया था. मगर दुर्भाग्य से खुद उनके समय में ही रोजगार में कटौती शुरू हो गयी थी. वाजपेयी जी के समय में तो कर्मचारियों की पेंशन ही खत्म हो गयी. इसलिए सभी पार्टियां लगभग एक जैसी हैं. यदि जनसंख्या और बेरोजगारी पर कुछ ठोस कार्य नहीं किया गया तो कभी कुछ खास दिखाई ही नहीं देगा.
वेद मामूरपुर, नरेला