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सावधान! त्योहार का समय शुरू, जहरीली मिठाइयों का भी सजा बाजार

सुबोध कुमार नंदन पटना : अब जब त्योहार का दौर चल रहा है, शहर में मिलावटी मिठाइयों की आवक शुरू हो चुकी है. ऐसे में उपभोक्ताओं के सामने अपनी मिठाई की गुणवत्ता की पहचान करने में खासी दिक्कत संभव है. हो सकता है कि उपभोक्ता चमकती व रंगीन मिठाइयों के आकर्षण में फंस जाएं. मिलावट […]

सुबोध कुमार नंदन
पटना : अब जब त्योहार का दौर चल रहा है, शहर में मिलावटी मिठाइयों की आवक शुरू हो चुकी है. ऐसे में उपभोक्ताओं के सामने अपनी मिठाई की गुणवत्ता की पहचान करने में खासी दिक्कत संभव है. हो सकता है कि उपभोक्ता चमकती व रंगीन मिठाइयों के आकर्षण में फंस जाएं. मिलावट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि डोडा बर्फी, मिल्क केक व कलाकंद जैसी महंगी मिठाइयां महज 140 से 200 रुपये प्रति किलो बिकनी शुरू हो गयी हैं.
जब दूध का भाव चालीस रुपये किलो से अधिक है, ऐसे में इतनी महंगी मिठाई इतनी सस्ती कैसे हो सकती है. जाहिर है कि ये सभी मिठाइयां सिंथेटिक व खतरनाक रसायनों से मिल कर बनी होंगी. लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जवाबदेह स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में अभी सैंपलिंग तक शुरू नहीं की है.
हर दिन ट्रेन से आता है खोया
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पटना से ऑर्डर जाने के बाद अगले दिन खोया व मिठाइयां ट्रेन से पहुंचती हैं. कीमत के अनुसार गुणवत्ता तय होती है. यानी जैसी कीमत वैसी मिठाई. जानकारी के अनुसार अधिकांश दुकानों में मिठाइयां तैयार नहीं होती हैं. मिठाइयां बनाने वाले ठेकेदार होते हैं, जो हर दिन दुकानों को उनके ऑर्डर के अनुसार मिठाइयां तैयार कर उन्हें सप्लाई करते हैं.
कानपुर से आती है मिठाई
शहर में कई मिठाइयां आगरा, दिल्ली, कानपुर और बनारस से आती हैं. इसमें खोया बर्फी, मिल्क केक, डोडा बर्फी, सोन पापड़ी, कलाकंद मुख्य रूप से बड़ी मात्रा में हर दिन आती हैं. इन्हें पटना और आसपास के इलाके में सप्लाई किया जाता है. कानपुर से विशेष रूप से खोया आता है. इन मिठाइयाें की सप्लाई शहर के छोटी से लेकर बड़ी मिठाई दुकानों में होती है.
राजधानी में खोया व अन्य मिठाइयाें की दुकानें जमाल रोड, स्टेशन
रोड, न्यू मार्केट, मीठापुर बस अड्डा, पोस्टल पार्क इलाके में हैं, जहां थोक व खुदरा कारोबार होता है. यहां प्रतिदिन सैकड़ों किलो खोया और मिठाइयां आती हैं.
आखिर दाम इतना कम क्यों
मिलावटी मिल्क केक, डोडा बर्फी, कलाकंद, खोया बर्फी आदि की कीमत महज 140 से 200 रुपये के बीच है. जानकारों के मुताबिक दूध के भाव को देखते हुए ऐसा संभव नहीं है. अगर 40 रुपये प्रति लीटर दूध हो, तो एक किलो खोया तैयार करने में कम से कम पांच लीटर से अधिक दूध की जरूरत होगी.
इसमें जलावन और कारीगर का खर्च जोड़ा जाये, तो इसकी कीमत 350 रुपये से अधिक आती है. तो ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि आगरा, कानपुर, बनारस और दिल्ली से आने वाली मिठाई कितनी शुद्ध होगी. दीवाली आते-आते इस तरह की मिठाइयां दुकानों में मिलने लगती हैं.
मिठाई का गणित
25 फीसदी
दुकानदारों के पास ही लाइसेंस है
25 करोड़ रुपये से अधिक का होता है मिठाई का कारोबार दुर्गापूजा से लेकर भाई दूज
तक
n15 करोड़ से अधिक का मिठाई कारोबार होता है अकेले दीपावली के मौके पर
मिलावटी मिठाई यानी मीठा जहर: मिलावटी मिठाई यानी मीठा जहर. रंगीन मिठाई बनाने के लिए जो केमिकल्स इस्तेमाल किये जाते हैं. वे किसी जहर से कम नहीं हैं. किडनी रोग, डायरिया, फूड प्वाइजनिंग जैसी बीमारियां हो जाती हैं. कैंसर भी हो सकता है. ज्यादा चीनी खाने से डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है.
डाॅ अमित कुमार, फिजिशियनव डायबिटोलॉजिस्ट
गर्भवती महिलाओं को अधिक नुकसान : मिलावटी मिठाई में सिंथेटिक दूध का प्रयोग किया जाता है, जो यूरिया, कॉस्टिक सोडा और डिटरजेंट से तैयार होता है. साथ ही इसमें बनावटी रंग का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह की मिठाई खाने से पाचन क्रिया प्रभावित होती है. गर्भवती महिलाओं को अधिक नुकसान हो सकता है. साथ ही अस्थमा का भी अटैक होने का खतरा अधिक रहता है.
डॉ प्रभात रंजन, पैथोलॉजिस्ट

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