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सारधा व रोजवैली की जांच पर संशय बरकरार

कोलकाता : केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ में मची घमासान का सीधा–सीधा असर राज्य में बहुचर्चित सारधा व रोजवैली चिटफंड घोटाले की जांच पर पड़ता दिख रहा है. सूत्रों का दावा है कि अब राज्य के अधिकांश चिटफंड मामलों की जांच अब ठंडे बस्ते में जाने का र सता रहा है. अगले वर्ष जनवरी से पहले […]

कोलकाता : केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ में मची घमासान का सीधा–सीधा असर राज्य में बहुचर्चित सारधा व रोजवैली चिटफंड घोटाले की जांच पर पड़ता दिख रहा है. सूत्रों का दावा है कि अब राज्य के अधिकांश चिटफंड मामलों की जांच अब ठंडे बस्ते में जाने का र सता रहा है. अगले वर्ष जनवरी से पहले इन मामलों में कोई विशेष उलटफेर होने की संभावना नहीं दिख रही है.
बताया जा रहा है कि सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना चिटफंड मामलों की जांच की गति व दिशा जानने के लिए हाल ही में कोलकाता पहुंचे थे. यहां उन्होंने जांच अधिकारियों संग कई बार अहम महत्वपूर्ण बैठकें भी की थी. लेकिन उनके खिलाफ स्वयं एजेंसी द्वारा प्राथमिकी दायर करने तथा डायरेक्टर अलोक वर्मा के साथ छुट्टी पर भेजे जाने के बाद अचानक दोनों बड़े चिटफंड घोटाले की जांच की स्थिति व इसपर कार्रवाई ने करवट ली है.
कोलकाता में सीजीओ कॉम्प्लेक्स के अधिकारी अब दिल्ली में स्थायी निदेशक मिलने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, कई आइपीएस अधिकारी अपने मूल कैडर राज्य में वापसी की कोशिश में जुट गए हैं, कि जब शीर्ष स्तर के अधिकारी स्वयं सुरक्षित नहीं है तथा आरोपियों की शिकायत पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो रही है तो वे सारधा, रोजवैली या अन्य चिटफंड कंपनियों की जांच किस भरोसे करेंगे??
सीबीआई में छिड़ी अंदरूनी जंग का चिटफंड कंपनी जांच पर क्या असर पड़ेगा, इसके जवाब में एजेंसी के कई अधिकारियों ने कहा कि फिलहाल इस वर्ष कोई नयी कार्रवाई का निर्देश नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी का हर काम एक पैटर्न पर चलता है. दिल्ली से मिले संकेत पर ही एजेंसी किसी मामले की जांच की गति व दिशा तय करती है.
लेकिन दिल्ली में शीर्ष स्तर पर मचे घामासान के बीच जनवरी तक किसी बड़े संकेत की संभावना नहीं है, क्योंकि डायरेक्टर अलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया है जो जनवरी में रिटायर हो रहे हैं. फिलहाल अस्थाई अंतरिम डायरेक्टर एजेंसी के कामकाज को देख रहे हैं. अस्थायी होने के कारण इस मामले में उनसे किसी बड़े फैसले की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
साथ ही अगर किसी आईपीएस ने एजेंसी के किसी अधिकारी के खिलाफ न्यायालय की शरण ली तो भी हमारा कामकाज काफी प्रभावित होगा. इसलिए सारधा, रोज वैली सह दूसरे चिटफंड कंपनियों की जांच का काम फिलहाल धीमी गति से ही आगे बढ़ने की उम्मीद है. लेकिन सारधा व रोजवैली मामले राज्य के दो अहम मामले हैं, इसके कारण वे इन मामलों की जांच में जल्द तेजी आये, इसकी उम्मीद कर रहे हैं.

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