नयी दिल्ली : रविचंद्रन अश्विन इस बहस में नहीं पड़ते कि कलाई के स्पिनर अंगुली के स्पिनरों की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली होते हैं, उनका कहना है कि भारतीय क्रिकेट में इस तरह की राय ‘धारणाओं’ पर आधारित होती है.
पिछले एक साल से युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव भारतीय वनडे टीम का नियमित हिस्सा रहे हैं जबकि अश्विन इससे बाहर चल रहे हैं. कलाई बनाम अंगुली स्पिनर की बहस के बारे में पूछने पर अश्विन का जवाब व्यंग्य से भरा था.
उन्होंने मंगलवार को देवधर ट्रॉफी मैच के मौके पर कहा, जैसा कि कहते हैं, दुनिया घूमती है तो हर चीज घूमने लगती है. यह सिर्फ समय की बात है क्योंकि ज्यादातर समय भारतीय क्रिकेट धारणाओं के हिसाब से चलता है.
भारत के लिये टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट झटकने वाले चौथे गेंदबाज ने स्पष्ट किया कि वह आलोचकों की बातों पर ध्यान नहीं देते जो वर्षों से उनकी गेंदबाजी की आलोचना करते रहे हैं. यह पूछने पर कि क्या वह इस बात से सहमत हैं कि स्पिनर की सफलता ‘स्टॉक बॉल’ पर निर्भर होती है तो उन्होंने जवाब दिया, अगर आप सफल हो तो लोग कहेंगे कि यह सही है.
अगर आप सफल नहीं हो तो लोगों की राय बन जाती है. उन्होंने कहा, मेरे 150 विकेट चटकाने के ज्यादातर समय विशेषज्ञ यह कहते रहे कि मैं वैरिएशन की कोशिश कर रहा था…जबकि मैं जानता था कि मैं ऐसा नहीं कर रहा था. इस तरह की राय लोगों द्वारा बनायी गयी जिसके लिये मुझे जवाब देने पड़े. मेरे पास अब इनके लिये समय नहीं है क्योंकि मैं अपने खेल का लुत्फ उठाना चाहता हूं.
उन्होंने कुलदीप यादव की तारीफ की लेकिन साथ ही उन्हें सलाह भी दी. उन्होंने कहा, कुलदीप के पास लेग ब्रेक, गुगली है और वह बल्लेबाजों को छका सकता है. लेकिन चुनौती तब शुरू होती है जब बल्लेबाज आपकी गेंदों को अच्छी तरह समझना शुरू कर देता है. इस समय उसे खुद को अनुकूलित करने की जरूरत होगी लेकिन इसके लिये हमारे पास अच्छी समर्थन प्रणाली है.
अपनी गेंदबाजी के बारे में अश्विन ने बताया कि उन्होंने अपनी कैरम गेंद की तकनीक को बदला है. उन्होंने कहा, मैंने अब कैरम गेंद फेंकने के तरीके में बदलाव किया है. मैंने सामान्य ऑफ ब्रेक गेंद में भी कुछ वैरिएशन किये हैं.