।। दुर्जय पासवान ।।
गुमला : जिला अंतर्गत बिशुनपुर, घाघरा, डुमरी व चैनपुर प्रखंड के पहाड़ी क्षेत्र, जहां आदिम जनजाति निवास करते हैं. उन पहाड़ी गांवों में बिजली सप्लाई बंद कर दी गयी है. एक साल से पहाड़ में बसे गांव के आदिम जनजाति परिवारों को बिजली नहीं मिल रही है.बिजली क्यों काटी गयी है. इसकी जानकारी कोई देने को तैयार नहीं है.
इस संबंध में आदिम जनजाति युवा संघ जागृति अभियान पोलपोल पाट बिशुनपुर के सदस्यों ने मंगलवार को डीसी को ज्ञापन सौंपकर आदिम जनजाति समुदाय के बाहुल्य क्षेत्र में बिजली विभाग द्वारा एक वर्ष से बिजली की आपूर्ति नहीं करने की शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की है.
ज्ञापन में कहा है कि गुमला जिला के बिशुनपुर, घाघरा, चैनपुर व डुमरी प्रखंड में आदिम जनजाति समुदाय के पठारी क्षेत्र में एक वर्ष से बिजली की आपूर्ति बंद है. विभाग के द्वारा देखरेख भी नहीं होता है. जिससे ग्रामीणों से मरम्मत के नाम पर अनावश्यक शुल्क वसूला जाता है. सहज बिजली आपूर्ति योजना के तहत घर-घर बिजली कनेक्शन देना सरकार की पहली प्राथमिकता है. लेकिन विडंबना यह है कि आदिम जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में बिजली कनेक्शन होने के बाद भी आपूर्ति नहीं हो रही है.बिजली जले या न जले बिजली बिल तो देना है. बिजली बिल जमा करने के नाम पर फर्जी एजेंट बनकर तीन से चार हजार तक की वसूली हुई है.
बिजली विभाग के द्वारा देखरेख एवं नियमित बिजली आपूर्ति कार्य हेतु स्थायी बिजली मिस्त्री की नियुक्ति किया जाय. ताकि ग्रामीणों से मरम्मत के नाम पर अनावश्यक शुल्क वसूली न हो. साथ ही बिजली बिल जमा करने हेतु विभागीय स्तर पर एजेंट की नियुक्ति एवं जगह का चुनाव किया जाय. ताकि ग्रामीणों को सहूलियत हो सके.
अध्यक्ष विमल असुर ने कहा कि अगर बिजली नहीं मिली तो पहाड़ में बसे लोग सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे. इधर, डीसी ने मामले की जांच कराते हुए बिजली दिलाने का आश्वासन दिये हैं. वहीं बिजली विभाग के इइ का फोन बंद होने के कारण बात नहीं हो सकी.