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बकोरिया कांड : एक माह पहले ही सीआइडी ने बंद कर दी थी जांच

प्रणवरांची : आठ जून 2015 को पलामू के बकोरिया में हुई कथित मुठभेड़ कांड की जांच सीआइडी ने छह माह बाद टेकओवर किया था. करीब तीन साल तक मामले की जांच की. लेकिन चार्जशीट दाखिल नहीं किया. एक माह पूर्व चुपके से पलामू कोर्ट में अंतिम जांच प्रतिवेदन सुपुर्द कर केस की जांच बंद कर […]

प्रणव
रांची : आठ जून 2015 को पलामू के बकोरिया में हुई कथित मुठभेड़ कांड की जांच सीआइडी ने छह माह बाद टेकओवर किया था. करीब तीन साल तक मामले की जांच की. लेकिन चार्जशीट दाखिल नहीं किया. एक माह पूर्व चुपके से पलामू कोर्ट में अंतिम जांच प्रतिवेदन सुपुर्द कर केस की जांच बंद कर दी.

सूत्रों के मुताबिक, प्रतिवेदन में जांच एजेंसी ने बताया कि बकोरिया में हुई मुठभेड़ की घटना सही थी. पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. 12 नक्सली मारे गये थे. घटना में जिन पांच नाबालिगों के मारे जाने की बात कही जा रही थी, वह गलत है, क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सभी के बालिग होने की पुष्टि हुई है.

बताया जा रहा है कि कोर्ट को अंतिम जांच प्रतिवेदन कोर्ट को सुपुर्द करने से पूर्व सीआइडी एडीजी अजय कुमार सिंह ने मामले में फाइल पुलिस मुख्यालय भेजी थी.

डीजीपी डीके पांडेय से अनुमति मिलने के बाद ही सीआइडी ने कोर्ट में अंतिम जांच प्रतिवेदन सुपुर्द किया और जांच बंद कर दी. इसकी पुष्टि एक वरीय अफसर ने की है. हालांकि मामला हाइ प्रोफाइल होने के कारण कोई अफसर प्रत्यक्ष तौर पर बात करने से गुरेज कर रहे हैं. डीजीपी डीके पांडेय का भी पक्ष लेने के लिए उनसे संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.

कई बार अफसरों का लिया गया बयान : बकोरिया कांड में कोबरा बटालियन के अफसरों के अलावा गवाहों से कई बार बयान लिये गये. ऐसा क्यों किया गया, यह जांच का विषय है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि इसके पीछे मंशा कुछ और ही थी. चर्चा यह भी रही कि बयान मन मुताबिक बदलवाया गया, ताकि मुठभेड़ को सही साबित किया जा सके.

कई की बढ़ सकती है परेशानी : एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने बताया कि जिस ढंग से मामले की जांच कर फर्जी मुठभेड़ को सही बताने के लिए तमाम उपाय किये गये उसमें कई पुलिस अफसर फंसेंगे, क्योंकि जवाबदेह स्थान पर रहते हुए उन्होंने मामले में आये तथ्यों को खारिज किया. ऐसे में जब सीबीआइ मामले की जांच करेगी, तो वैसे अफसरों से भी पूछताछ करेगी, जो घटना के वक्त पलामू में थे और वह अफसर भी जो मामले की जांच से जुड़े थे.

नहीं मिला साक्ष्य, तो सीआइडी ने नहीं किया चार्जशीट

बकाेरिया कांड फर्जी मुठभेड़ था. इसमें अधिकतर बेगुनाह लोगों को मारा गया. जांच के दौरान उक्त आरोपों के पक्ष में सीआइडी साक्ष्य एकत्र नहीं कर पायी. साक्ष्य एकत्र करती, तो सीआइडी को दोषी को गिरफ्तार कर जेल भेजना होता. तभी वह मामले में चार्जशीट दाखिल करती, इसलिए सीआइडी ने आरोपों के संबंध में साक्ष्य नहीं मिलने की बात कहते हुए अंतिम जांच प्रतिवेदन कोर्ट को सुपुर्द किया.

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