फ़िल्म -बधाई हो
निर्माता जंगली पिक्चर्स
निर्देशक अमित रविंद्रनाथ शर्मा
कलाकार- आयुष्मान खुराना, सान्या मल्होत्रा, नीना गुप्ता,गजराज राव,सुरेखा सिकरी और अन्य
रेटिंग साढ़े तीन
उर्मिला कोरी
कंटेंट ही किंग है. यह बात हम सभी ने सिनेमा को लेकर कई बार सुनी है लेकिन बहुत कम फिल्में इस कथन पर खरी उतरती हैं. इसी चुनिंदा सूची में बधाई हो का नाम शामिल है. उम्रदराज कौशिक दंपति के माता पिता बनने की कहानी यह फ़िल्म है. कौशिक परिवार यूं तो किसी सर्कस से कम नहीं है लेकिन परिवार में मिस्टर एंड मिसेज कौशिक( गजराज और नीना) अपने 25 वर्षीय बेटे नकुल( आयुष्मान)10 वर्षीय बेटे (गुलर)के साथ खुश हैं. हां मिस्टर कौशिक की मां ( सुरेखा सीकरी) घर की शांति को भंग कर देती हैं लेकिन वो सास को बहु को सुनाने वाली छोटी मोटी कहासुनी ही होती है. सबकुछ ठीक चलता रहता है कि अचानक एक दिन मालूम पड़ता है कि 50 प्लस मिस्टर एंड मिसेज कौशिक फिर से माता पिता बनने वाले हैं. जिस घर का बेटा अपनी गर्लफ्रैंड (सान्या मल्होत्रा)की माँ को शादी के लिए मना रहा है.
वहां उसकी मां गर्भवती हो गयी है. भूचाल तो आना ही है. नकुल और छोटे बेटे को इससे बहुत शर्मिंदगी होती है तो वही दादी पूरा घर सिर पर उठा लेती है. इस बात को लेकर परिवार के दूसरे लोग और समाज भी ताने कसता है. समाज और रिश्तेदारो के इन तानों से किस तरह से कौशिक परिवार डील करेगा और परिवार के नए सदस्य का स्वागत क्या पूरा परिवार मिलकर करेगा. इसी पर फ़िल्म की कहानी है. फ़िल्म के विषय के लिए इसकी पूरी टीम बधाई की पात्र है. फ़िल्म को जिस हल्के फुल्के अंदाज़ में कहा गया है. वह इस फ़िल्म को खास बना देता है. फ़िल्म के लगभग हर सीन मिडिल क्लास परिवार के रोजमर्रा की ज़िंदगी से मेल खाते हैं. जो फ़िल्म को और विश्वसनीय बना देती है।फ़िल्म परिवार के महत्व को समझाती है. विपरीत हालात में भी एक दूसरे के साथ खड़ा रहने को बताती है. फ़िल्म का फर्स्ट हाफ हंसी से लोटपोट कर देता है. सेकंड हाफ में थोड़ी फ़िल्म इमोशनल होती है लेकिन हंसी चेहरे पर बरकरार रहती है. हां इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सेकंड हाफ थोड़ा और बेहतर हो सकता था.
उम्रदराज दंपति के माता पिता बनने की इस कहानी में सान्या के संवाद के ज़रिए इस बात पर जोर दिया है कि क्यों उम्रदराज पति पत्नी के प्यार से समाज और परिवार को ऐतराज़ है. सेफ सेक्स और बड़ी उम्र में मां बनने के स्वास्थ्य समस्याओं पर भी बात हुई है भले ही सरसरी तौर पर ही. अभिनय की बात करें तो सभी कलाकारों का काम शानदार रहा है. घर के मुखिया के तौर पर गजराज राव का काम उम्दा है. हर सिचुएशन के साथ उन्होंने जिस तरह से अपने चेहरे के एक्सप्रेशन दिये हैं. वो बयां कर जाता है कि वो कितने कमाल के अभिनेता हैं. नीना गुप्ता का अभिनय भी लाजवाब है तो आयुष्मान खुराना को तो ऐसी फिल्मों में महारत हासिल है. इन सबमें बाज़ी सुरेखा सिकरी मार ले जाती हैं. उनके संवाद हो बॉडी लैंग्वेज सभी के साथ उन्होंने धमाल कर दिया है. उनका यह किरदार दर्शकों के जेहन में लंबे समय तक याद रहने वाला है. सान्या मल्होत्रा का अभिनय सधा हुआ है. बाकी के किरदारों ने भी अपने हिस्से की भूमिका बखूबी निभायी है.
फ़िल्म के विषय और कहानी को मज़ेदार डायलॉग और उम्दा बना देते हैं. खासकर देसी अंदाज़ वाली कॉमेडी. जो मिडिल क्लास फील लिए है. वो आपको सहज ही हंसने को मजबूर कर देते हैं. फ़िल्म का गीत संगीत पूरी तरह से कहानी और विषय के अनुरूप है. बैकग्राउंड स्कोर ने अपने अंदाज में मनोरंजन में तड़का लगाया है. फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी भी बहुत अच्छी है।दिल्ली को बेहतरीन ढंग से परदे पर उतारा गया है. कुलमिलाकर इस शानदार फ़िल्म को देखना बनता है.