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मुजफ्फरपुर : शाही लीची पर लग गया जीआई टैग, मिली राष्ट्रीय पहचान

मुजफ्फरपुर : शाही लीची को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गयी है. बौद्धिक संपदा कानून के तहत शाही लीची को दो साल के प्रयास के बाद भारत सरकार ने जीआई टैग (ज्योग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन) दे दिया है. अब शाही लीची मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, बेगूसराय व पूर्वी चंपारण का उत्पाद ही जाना जायेगा. शाही लीची ग्रोवर एसोसिएशन […]

मुजफ्फरपुर : शाही लीची को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गयी है. बौद्धिक संपदा कानून के तहत शाही लीची को दो साल के प्रयास के बाद भारत सरकार ने जीआई टैग (ज्योग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन) दे दिया है.
अब शाही लीची मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, बेगूसराय व पूर्वी चंपारण का उत्पाद ही जाना जायेगा. शाही लीची ग्रोवर एसोसिएशन ऑफ बिहार के नाम से प्रमाणित किया गया है.
शाही को पहचान दिलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य के लिए 2015 से प्रयास चल रहा था. बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि तीन साल पूर्व उन्होंने आवेदन किया था. जीआई टैग देनेवाले निकाय ने शाही लीची का सौ साल का इतिहास मांगा था. इतिहास नहीं दिये जाने पर सिंह के आवेदन को छांट दिया गया. लेकिन, उन्होंने अपना अभियान जारी रखा. इसके बाद बौद्धिक संपदा विभाग में तीन बार सुनवाई हुई. इसके बाद साक्ष्य प्रस्तुत करने पर पांच अक्तूबर को शाही लीची पर जीआई टैग लग गया.
जीआई टैग क्या है
भौगोलिक संकेतक किसी उत्पाद को दिया जाने वाला एक विशेष टैग है. जीआई टैग उसी उत्पाद को दिया जाता है: जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है. जिसमें उत्पाद के विशेषताओं का उस स्थान विशेष से गहरा संबंध होता है. जीआई टैग प्राप्त कुछ उत्पाद है. जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) मुख्य रूप से कुछ विशिष्ट उत्पादों जैसे कृषि, प्राकृतिक, हस्तशिल्प, और औद्योगिक सामान को दिया जाता है.

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