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पटना : प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच सेतु का काम करेंगे प्रशांत किशोर

पटना : वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा के चुनाव में जदयू की चुनावी रणनीति बनाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले और पॉलिटिकल मुहावरे गढ़ने वाले प्रशांत किशोर (पीके) को मंगलवार को जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया. पार्टी में वे अकेले व्यक्ति हैं, जिन्हें इस दल में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिया गया है. […]

पटना : वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा के चुनाव में जदयू की चुनावी रणनीति बनाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले और पॉलिटिकल मुहावरे गढ़ने वाले प्रशांत किशोर (पीके) को मंगलवार को जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया. पार्टी में वे अकेले व्यक्ति हैं, जिन्हें इस दल में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिया गया है.

हालांकि, उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद राजनीतिक जगत में यह चर्चा है कि प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत के लिए रणनीति बनायेंगे.

वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच सेतु का काम करेंगे. पीके ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो उस समय गुजरात में तत्कालीन मुख्यमंत्री थे, उनके घर में एक साल साथ में रहकर काम किया था. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भी उन्हें एक अणे मार्ग में साथ रहकर काम करने का मौका मिला था. ऐसे में वह दोनों नेताओं के घनिष्ठ हैं.

अब यह माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी. यह भी माना जा रहा है कि पीके को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया जाना एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर पार्टी की रणनीति का हिस्सा है.

बिहार में बहार हो नीतीशे कुमार हो जैसा नारा पीके ने ही गढ़ा था

बिहार में बहार हो नीतीशे कुमार हो’ जैसा नारा पीके ने ही दिया था. इसी तरह हर घर दस्तक अभियान चलाया गया था. नीतीश कुमार द्वारा पीके को नंबर दो का स्थान पर बैठाया जाना इस बात का संकेत है कि पार्टी एक बड़े फलक पर काम करने की तैयारी में है.

इस साल पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, जबकि अगले साल लोकसभा का चुनाव होगा. पीके के पास देश की दो राष्ट्रीय पार्टियों और उनके नेताओं के साथ काम करने का अनुभव है. 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के लिए काम कर चुके हैं, जबकि 2016 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए उन्होंने काम किया था. ऐसे में उनको कई बड़े दलों के साथ काम करने का अनुभव है.

इस अनुभव का लाभ पार्टी को मिलेगा. प्रशांत किशोर के पास अपनी टीम है, जो उनकी सोच के अनुसार काम करती है. 2015 में महागठबंधन के चुनाव अभियान में शामिल रहे पीके को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार बनने के बाद राज्य मंत्री का दर्जा दिया था. साथ ही महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार के विकास के सात निश्चय की योजना बनी और इसको अमली जामा पहनाने के लिए बिहार विकास मिशन बनाया गया था.

यह भी कयास लगाया जा रहा है कि पीके को लोकसभा में किसी क्षेत्र से जदयू का प्रत्याशी बनाया जा सकता है. अगर लोकसभा में उनको सीट नहीं मिली तो राज्यसभा के माध्यम से उनको संसद में पहुंचाया जा सकता है.

जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाये गये प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी के प्रति आभार और आस्था प्रकट की है. उन्होंने ट्वीट किया है कि जदयू और पार्टी के नेतृत्व का इस जिम्मेदारी और सम्मान के लिए हृदय से आभार. नीतीश जी की न्याय संग विकास की विचारधारा और बिहार के प्रति में प्रतिबद्ध हूं.

जदयू का तकनीकी पक्ष हुआ मजबूत : वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर का मानना है कि प्रशांत किशोर के आने से जदयू का तकनीकी पक्ष मजबूत हुआ है. चाहे वह सोशल मीडिया का काम हो या पार्टी के लिए हर क्षेत्र से डाटा जुटाने की बात हो. उनके आने से पार्टी को अब ये लाभ मिलेंगे. इस काम के लिए उनके पास एक टीम है. इस टीम का उपयोग पार्टी के लिए किया जा सकता है. अब तक इस तरह की परंपरा बिहार के राजनीतिक दलों में नहीं थी.

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