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रांची : महाधिवक्ता ने विभाग के फैसले को सही ठहराया
संजय रांची : महाधिवक्ता ने समाज कल्याण विभाग के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें पोषाहार आपूर्ति करनेवाली एक कंपनी का टेंडर तकनीकी बिड के दौरान रद्द कर दिया गया था. तकनीकी बिड में दो बार अयोग्य हो जाने के बाद सरकार के स्तर पर महाधिवक्ता से इस संबंध में राय मांगी गयी थी. […]
संजय
रांची : महाधिवक्ता ने समाज कल्याण विभाग के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें पोषाहार आपूर्ति करनेवाली एक कंपनी का टेंडर तकनीकी बिड के दौरान रद्द कर दिया गया था. तकनीकी बिड में दो बार अयोग्य हो जाने के बाद सरकार के स्तर पर महाधिवक्ता से इस संबंध में राय मांगी गयी थी. अब महाधिवक्ता की राय के बाद संबंधित फाइल समाज कल्याण निदेशालय को टेंडर के फाइनेंशियल बिड की प्रक्रिया पूरी करने के लिए भेज दी गयी है.
गौरतलब है कि आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये बंटने वाले पोषाहार (रेडी-टू-इट) का टेंडर एक आपूर्तिकर्ता के कारण लटक गया था. विभाग सालाना करीब 450 करोड़ का पोषाहार वितरित करता है. दरअसल, मध्यप्रदेश की एक कंपनी एमपी एग्रो फूड को सरकार के कुछ शीर्षस्थ लोग काम दिलाना चाहते थे.
इस लॉबी में शहर का उद्योगपति भी शामिल बताया जाता था. इससे पहले ई-टेंडर भरने वाली कंपनियों में शामिल एमपी एग्रो फूड के बारे में विभागीय अधिकारियों को कहा गया था कि इस पर ध्यान दिया जाये, पर तकनीकी बिड में इस आपूर्तिकर्ता का टेंडर रिजेक्ट हो गया. इसके बाद कहा गया कि बिड पर निर्णय लेने के लिए निर्धारित एक अलग कमेटी इस पर निर्णय करे
इस कमेटी ने भी एमपी एग्रो फूड का टेक्निकल बिड रिजेक्ट कर दिया. इसके बाद विभाग से कहा गया कि इस मुद्दे पर महाधिवक्ता की राय ली जाये. एक ओर सरकार टेंडर के खेल में फंसी है, वहीं दूसरी ओर राज्य भर के 17 लाख बच्चों तथा करीब सात लाख गर्भवती व धात्री महिलाओं को गत तीन माह से पोषाहार (पंजिरी व उपमा) नहीं मिल रहा है. पूरक पोषाहार कार्यक्रम के इतिहास में यह पहली बार है, जब इसके वितरण के मामले में इतनी सुस्ती व लापरवाही हो रही है.
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