डीजल की कीमत कम होने के बाद भी नहीं आयी कमी
पटना : राज्य की नदियों में एक अक्तूबर से बालू खनन शुरू होने के बाद उचित बाजार दर पर इसकी आपूर्ति होने का लोगों को इंतजार था, लेकिन एक सप्ताह बाद भी इसकी बढ़ती कीमतों ने आम लोगों के लिए संकट बढ़ा दिया है. इस कारण निर्माण कार्य भी महंगा होने लगा है. बालू की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार के स्तर पर खान एवं भूतत्व विभाग ने पिछले दिनों बालू घाटों के बंदोबस्तधारियों के साथ बैठक भी की थी, लेकिन फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं है.
सूत्रों का कहना है कि किल्लत के दिनों में पटना में खुले मार्केट में 100 सीएफटी (एक टेलर) बालू की कीमत 5500 रुपये तक चली गयी थी. बाद में बालू की आपूर्ति ठीक होने के बाद इसकी कीमत 3000 रुपये प्रति 100 सीएफटी हो गयी. अब एक अक्तूबर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का नदियों से बालू खनन पर से रोक हटते ही इसकी प्रति 100 सीएफटी कीमत 3000 रुपये से घटनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा. उल्टे कीमत बढ़ गयी है.
डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव: खान एवं भूतत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नदी घाटों पर तय दर के मुताबिक ही बालू मिल रहा है.
वहां 100 सीएफटी की कीमत 1000 रुपये है. वहां से उपभोक्ताओं के यहां पहुंचाने में डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों ने भी माल भाड़ेे को प्रभावित किया है. अब जब डीजल की कीमत में करीब पांच रुपये प्रति लीटर की गिरावट आयी है तो हो सकता है कि ट्रांसपोर्टर भी भाड़े में कमी करें. विभाग की इस पर नजर है और उचित व्यवस्था करने की कोशिश की जा रही है.
लगेंगे सीसीटीवी कैमरे
खान एवं भूतत्व विभाग ने बालू घाटों पर स्थापित होने वाले धर्मकांटा के इंट्री व एक्जिट प्वाइंट पर सीसीटीवी कैमरे को भी अनिवार्य कर दिया है. इससे वाहनों में ओवरलोडिंग की समस्या खत्म की जा सकेगी. दरअसल, विभाग का मानना है कि बालू के उठाव से परिवहन तक की व्यवस्था को सुचारु करके ही राज्य को बालू संकट से मुक्ति दिलायी जा सकती है. इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं.